मामले में शिकायतकर्ता महिला और युवक की सगाई हो चुकी थी। दोनों लंबे समय तक रिश्ते में रहे और रोका समारोह भी संपन्न हुआ था। यहां तक कि नवंबर 2024 की शादी की तारीख भी तय कर दी गई थी। लेकिन बाद में दोनों परिवारों में मतभेद उभर आए और विवाह नहीं हो सका। इसके बाद युवती ने युवक पर दुष्कर्म का मामला दर्ज करा दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि दोनों ही शिक्षित और परिपक्व वयस्क थे और शुरू से ही संबंध सहमति से बने थे। यह भी सामने आया कि विवाह न होने का कारण केवल दोनों परिवारों के बीच उत्पन्न मतभेद थे। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए दोहराया कि केवल विवाह का वादा पूरा न होने से दुष्कर्म का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो कि आरोपी की नीयत शुरू से ही धोखाधड़ी करने की थी।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मामला इस बात का उदाहरण है जब एक सहमति आधारित संबंध, अपेक्षा अनुसार विवाह में परिणत न होने पर आपसी रंजिश का शिकार बन गया और उसे आपराधिक रंग दे दिया गया। ऐसा दुरुपयोग न्यायालयों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस आधार पर अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि दोनों ही शिक्षित और परिपक्व वयस्क थे और शुरू से ही संबंध सहमति से बने थे। यह भी सामने आया कि विवाह न होने का कारण केवल दोनों परिवारों के बीच उत्पन्न मतभेद थे। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए दोहराया कि केवल विवाह का वादा पूरा न होने से दुष्कर्म का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो कि आरोपी की नीयत शुरू से ही धोखाधड़ी करने की थी।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मामला इस बात का उदाहरण है जब एक सहमति आधारित संबंध, अपेक्षा अनुसार विवाह में परिणत न होने पर आपसी रंजिश का शिकार बन गया और उसे आपराधिक रंग दे दिया गया। ऐसा दुरुपयोग न्यायालयों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस आधार पर अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी।