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ई वेस्ट मैनेजमेंट - ई वेस्ट मैनेजमेंट पर पोस्टर मेकिंग कॉम्पिटिशन

Posted by : pramod goyal on : Monday, 27 October 2025 0 comments
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 गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग के आदेशानुसार ई वेस्ट पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जूनियर रेडक्रॉस और सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने कहा कि ई वेस्ट अर्थात इलेक्ट्रॉनिक कचरे या ई कचरा को पर्यावरण संरक्षण विनियम 2021 में परिभाषित किया गया है। सामान्य रूप से यह उन वस्तुओं से उत्पन्न कचरा होता है जिनमें विद्युत प्रवाह या विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र सम्मिलित होता है। इसमें बेकार पड़े विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उपकरण भी होते हैं 

यह इलेक्ट्रॉनिक और विद्युत अपशिष्ट का संक्षिप्त रूप है। इन में प्लग, तार, और कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैबलेट, टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, खिलौने और अन्य घरेलू उपकरण आदि सम्मिलित हैं। ई कचरा खतरनाक होता है क्योंकि इसमें जहरीले रसायन होते हैं जो जमीन में रिस सकते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ई-कचरे में बड़े उपकरण जैसे रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, वाशिंग मशीन तथा छोटे उपकरण जैसे टोस्टर

, केतली, हेयर ड्रायर, और अन्य घरेलू उपकरण आदि होते है। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि आईटी और दूरसंचार उपकरण जैसे खराब हो चुके कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैबलेट एवं इलेक्ट्रॉनिक खिलौने और खेल से संबंधित बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी ई वेस्ट के अंतर्गत आते हैं। उपयोग किये गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रीसाइक्लिंग के लिये नहीं दिये जाने का एक प्रमुख कारक यह था कि उपभोक्ता स्वयं ऐसा नहीं करते या नहीं करना चाहते हैं। यद्यपि हाल के वर्षों में विश्व भर के देश प्रभावी मरम्मत के अधिकार Right to Repair कानूनों को पारित करने का प्रयास कर रहे हैं।
बाल श्रम की भागीदारी जिस में
भारत में 10 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 4.5 लाख बाल श्रमिक विभिन्न ई कचरा गतिविधियों में लगे हुए हैं और वह भी विभिन्न यार्डों और रीसाइक्लिंग कार्यशालाओं में पर्याप्त सुरक्षा और सुरक्षा उपायों के बिना। कुछ क्षेत्रों में अप्रभावी विधान जैसे अधिकांश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वेबसाइटों पर किसी भी सार्वजनिक सूचना के अभाव के कारण भी ई वेस्ट मैनेजमेंट का अभाव है। ई कचरे में 1,000 से अधिक जहरीले पदार्थ होते हैं जो मिट्टी और भूजल को दूषित करते हैं। असंगठित क्षेत्र के लिये ई कचरे के निपटान के लिये कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं भी हैं। साथ ही ई कचरे के निपटान के लिये औपचारिक रास्ता अपनाने हेतु लोगों को प्रोत्साहित करने के लिये किसी योजना का उल्लेख नहीं किया गया है। इस के अतिरिक्त भारत में अपशिष्ट उपकरणों का सीमा पार प्रवाह भी अधिक है। विकसित देशों का 80% ई कचरा रीसाइक्लिंग के लिये भारत, चीन, घाना और नाइजीरिया जैसे विकासशील देशों को भेजा जाता है। आज विद्यार्थियों ने ई वेस्ट मैनेजमेंट पर पोस्टर भी बनाए। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा, प्राध्यापिका गीता, सुशीला, ममता, निखिल, दीपांजलि, दिनेश, सरिता और अवधेश ने प्रथम स्थान पर खुशी, द्वितीय स्थान पर चंचल तथा तृतीय स्थान पर ओमवती सहित सभी विद्यार्थियों को सम्मानित किया।

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