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फरीदाबाद के मंत्री और विधायकों के लिए भी अपने -अपने उम्मीदवारों को जिताने की अग्नि परीक्षा है। मंत्रियों और विधायकों की सिफारिश पर दी गई भाजपा सिम्बल पर पार्षद उम्मीदवारी की टिकट ने पार्टी में ही विद्रोह जैसा माहौल बना दिया। काफी मान मनोवल के बाद भाजपा से बागी हुए कुछ निर्दलीयों ने तो अपना
नामंकन वापिस ले लिया। लेकिन फिर काफी उम्मीदवार मैदान में डटे रहे। इतना ही नहीं टिकट की बाट जोह रहे कई भाजपा नेताओं ने नाराज होकर खुले आम निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन किया। जिससे कई वार्डों में भाजपा का चुनावी गणित बिगड़ गया। भाजपा ने भी थोक के भाव ऐसे बागी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी से बहार का रास्ता दिखा दिया। लेकिन कभी विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों के लिए जोर दार समर्थन व प्रचार करने वाले इन बागी नेताओं ने इस बार उन्हें ही सबक सिखाने के लिए न केवल घोषित भाजपा उम्मीदवार को नकार दिया, बल्कि उनके विरुद्ध चुनाव लड़ रहे निर्दलीय उम्मीदवार का खुलकर साथ दिया।
ऐसे में फरीदाबाद के मंत्री और विधायकों के सामने अपने अपने वार्डो के उम्मीदवारों को जिताना एक चेलेंज है। हालंकि इन विधायकों ने अपने समर्थित उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है। लेकिन अंदरखाने उन्हें डर सता कि कही बाजी उलटी न पड़ जाये।
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