US आर्मी के प्लेन से अमृतसर लाए गए भारतीय अमेरिका में 11 दिनों से कैद थे। अलग-अलग कैंप में रखे गए इन लोगों को टॉर्चर किया गया। मारपीट के साथ भद्दी गालियां तक दी गईं। एयरबेस पर हाथ-पैर और गले में बेड़ियां डाली गईं। काले कपड़े से चेहरा ढंक दिया गया।
प्लेन के अंदर बेड़ियों के साथ ही बैठाया गया। किसी को पेशाब करने के लिए भी जाना होता तो पहले हाथ ऊंचा करना पड़ता। इसके बाद सैनिक आते और वॉशरूम तक लेकर जाते। इन लोगों ने अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत पहुंचने तक की मुश्किलें भास्कर से शेयर कीं।
आकाश ने बीते 4 दिन में जो जिंदगी जी है उसकी कभी कल्पना नहीं की थी। महज 4 दिन पहले दोपहर को मेरे साथ बहुत सारे लोगों को दो बसों में ठूंस दिया गया। सोचा शायद वेलकम ऑफिस ले जाकर रिलीज कर देंगे, लेकिन हमें अमेरिकन एयरबेस पर ले जाया गया।
वहां अमेरिकी सेना का बहुत बड़ा हवाई जहाज खड़ा था। हमें बस से उतारकर लाइन में खड़ा किया गया। पूरा चेहरा मास्क से ढंक दिया। इसके बाद हाथ-पैर और गले में बेड़ियां डाल दी गईं। हमें ऐसे ट्रीट किया जा रहा था जैसे हम बहुत बड़े क्रिमिनल हों।
एक अमेरिकी अफसर ने जोर से कहा कि हमें इंडिया भेजा जा रहा है। फिर हमें हवाई जहाज में चढ़ने के लिए कहा गया। जब हम जहाज में चढ़ रहे थे, तब वहां बहुत सारे कैमरे लगे थे। अमेरिकी मीडिया जमा था।
प्लेन के अंदर बेड़ियों के साथ ही बैठाया गया। किसी को पेशाब करने के लिए भी जाना होता तो पहले हाथ ऊंचा करना पड़ता। इसके बाद सैनिक आते और वॉशरूम तक लेकर जाते।
पंजाब के जगराओं की मुस्कान ने बताया कि अमेरिका से उड़ने के बाद बहुत देर तक जहाज आसमान में ही घूमता रहा। वहां चल रही बातचीत से पता लगा कि दिल्ली में जहाज को उतरने के लिए परमिशन नहीं दी गई। इसके बाद प्लेन अमृतसर में लैंड हुआ।
इंडिया में जहाज से उतरते समय ही हथकड़ी खोली गई। जहाज में 6 साल तक के 4 बच्चों के अलावा सभी को हथकड़ी लगाई गई थी। बच्चों को जहाज में उनकी मां के पास ही रखा गया था।
जहाज में जो अमेरिकी सैनिक थे, उनकी अंग्रेजी समझ नहीं आ रही थी। हालांकि फ्रूट-स्नैक्स दिए गए थे। सर्दी लगी तो कंबल भी सैनिकों ने ही ओढ़ाए।
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