HEADLINES


More

श्रीमद्भगवद्गीता जयंती - नेहा श्रीमद्भगवद्गीता श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता में प्रथम

Posted by : pramod goyal on : Monday, 18 November 2024 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//

 शिक्षा विभाग के आदेशानुसार  श्रीमद्भगवद्गीता जयंती के अंतर्गत राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में आज श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकोच्चारण प्रति


योगिता का आयोजन किया। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्रिंसिपल रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि विद्यालय के धर्मपाल शास्त्री ने छात्राओं और छात्रों की विद्यालय स्तर की श्रीमद्भगवद्गीता की इन दोनो प्रतियोगिता का संचालन किया।प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि विद्यालय में शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार श्लोकोच्चारण, संवाद, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर, निबंध आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। विद्यालय के विद्यार्थी सभी गतिविधियों में प्रतिभागिता कर रहे हैं। श्रीमद्भगवतगीता हमारे जीवन का सार है, गीता जीवन दर्शन है। गीता हमें निष्काम कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं। आज छात्र और छात्राओं ने श्लोकोच्चारण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं को जीवन शैली में आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में हमारे जीवन की सभी समस्याओं का निदान निहित है। श्रीमद्भगवद्गीता जीवन दर्शन है तथा हमें आदर्श जीवन जीने के लिए मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भगवद्गीता सदैव ही धर्म से अधिक जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी जनमानस का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को ऐसा करने की प्रेरणा देता है। गीता विश्व के सबसे अधिक प्रेरणादाई ग्रंथो में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का यह भाग उपनिषद कहलाता है। मानव जीवन की विशेषता मानव को प्राप्त बौद्धिक शक्ति है और उपनिषदों में निहित ज्ञान मानव की बौद्धिकता की उच्चतम अवस्था तो है ही अपितु बुद्धि की सीमाओं के परे मनुष्य क्या अनुभव कर सकता है उसकी एक झलक भी दिखा देता है। अतः हम सभी को दैनिक जीवन में निस्वार्थ भाव में कर्म करते रहना चाहिए। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा, अनिल कुमार, धर्मपाल शास्त्री और राहुल रोहिल्ला ने इस अवसर पर श्लोकोच्चारण प्रथम स्थान पर नेहा द्वितीय स्थान पर शशि और तृतीय स्थान पर रोहित को सम्मानित कर अगले चरण की प्रतियोगिता के लिए जुट जाने के लिए प्रेरित किया।

No comments :

Leave a Reply