फरीदाबाद। फरीदाबाद का लोकसभा चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। दोनों ही दलों के प्रत्याशी इस चुनाव को जीतने के लिए दिन - रात मेहनत कर रहे है। भाजपा प्रत्याशी कृषणपाल गुर्जर जहां तीसरी बार चुनाव जीतकर हेड ट्रिक बनाने के लिए प्रयासरत है, कांग्रेस प्रत्याशी महेंदर प्रताप इस बार यहाँ गठबंधन का परचम फहराने के लिए जी तोड़ कौशिश कर रहे है। लेकिन कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के लिए अपने ही मुसीबत का कारण बन रहे है।
कांग्रेस हाई कमान के निर्देश के बाद फरीदाबाद के कांग्रेस नेता लोकसभा उम्मीदवार महेंदर प्रताप के प्रचार में जुटे हुए तो है, लेकिन वे अपनी महत्वकांक्षा को नहीं छुपा प् रहे है और प्रत्याशी के समक्ष मंच पर ही अपनी भड़ास निकाल भी रहे है। पूर्व पार्षद दीपक चौधरी और बल्लभगढ़ की पूर्व विधायक शारदा राठौर के बीच मंच पर ही नोंक झोंक किसी से छुपी नहीं है। जिसे शांत करने के लिए स्वयं कांग्रेस प्रत्याशी महेंदर प्रताप को हस्पक्षेप करना पड़ा। इसी तरह का मामला कुछ ओल्ड फरीदाबाद का है। जहां कांग्रेस नेता लखन सिंगला, पूर्व पार्षद और आप नेता प्रवेश मेहता को ना तो मंच शेयर करने दे रहे है और न ही उनके व्यक्तिगत कार्यक्रम के पक्ष में थे। जिसके चलते प्रवेश मेहता को दूसरे लोकसभा में अपना डेरा लगाना पड़ा। विधान सभाओं में अपनी महत्वकांक्षा पाले ऐसे नेता कांग्रेस के पक्ष में बन रहे माहौल को खराब कर सकते है।
वही बात करें भाजपा प्रत्याशी कृषणपाल गुर्जर की तो उन्हें दोतरफा मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। एक तो उनकी अपनी ही पार्टी के विधायक और नेता या तो गुर्जर के समर्थन में प्रचार ही नहीं कर रहे है। या फिर बेमन से उनके साथ केवल खड़े ही नजर आ रहे है। यहीं कारण है कि भाजपा हाई कमान द्वारा लोकसभा क्षेत्र के सभी भाजपा विधायकों को नसीयत दी गई है कि अगर उनके इलाकों से लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष 2019 से कम वोट मिले तो विधानसभा चुनाव में उनके टिकट पर खतरा हो सकता है। कृषणपाल से लोगों के नाराजगी और आरएसएस की बेरुखी भी इस बार उनकी हैडट्रिक रोड़ा बन सकती है।
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