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शनिवार 9 मार्च को जींद में होने वाली संदेश रैली में फरीदाबाद से सीपीएम और सीपीआई के सैकड़ो कार्यकर्ता भाग लेंगे

Posted by : pramod goyal on : Friday 8 March 2024 0 comments
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 फरीदाबाद 8 मार्च कल शनिवार 9 मार्च को जींद  में होने वाली वामपंथी पार्टियों की बदलाव संदेश रैली में फरीदाबाद  से   सीपीएम और सीपीआई  के सैकड़ो कार्यकर्ता भाग लेंगे। रैली की तैयारीयां पूरी कर ली गई है। यह जानकारी सीपीएम के जिला कमेटी के सचिव शिवप्रसाद और जिला कमेटी सदस्य वीरेंद्र सिंह डंगवाल  एवं  सीपीआई के जिला सचिव कामरेड आर् एन सिंह ने संयुक्त  रूप से जारी एक बयान में दी। उन्होंने बताया कि  सांप्रदायिकता और पूंजीपरस्त नीतियों के  खिलाफ जींद के हुड्डा ग्राउंड सफीदों रोड में होने वाली इस रैली  को  सी पीआई एम के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई  की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर के अलावा सीपीएम के राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह, और सीपीआई के राज्य सचिव दरियाव सिंह कश्यप संबोधित करेंगे। उन्होंने  कहा कि देश और प्रदेश में भाजपा सरकारों ने सतासीन  होने के बाद जन विरोधी नीतियों को लागू किया है  । जहां एक तरफ आरएसएस के सांप्रदायिक हिंदुत्व वादी एजेंडे को  तेजी से लागू किया जा  रहा है। वहीं दूसरी तरफ जनता की कड़ी मेहनत से निर्मित सार्वजनिक क्षेत्रों को मुनाफा कमाने के लिए निजी कंपनियों के हवाले  किया जा रहा है। इसका परिणाम यह   कि   आम जनता मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, से जूझ रही  है।  उन्होंने कहा कि  मोदी सरकार द्वारा संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार हमले जारी हैं। संविधा


न की मूल भावना  के विपरित जन विरोधी काले कानून बनाए जा रहे हैं। जनता को मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के आकार को घटाया जा रहा   है। खाद्य सुरक्षा सहित सभी तरह की कल्याणकारी योजनाओं के बजट में हर वित्तीय वर्ष में कटौती हो रही है। देश प्रदेश में भ्रष्टाचार की जडें और मजबूत होती जा रही हैं। प्रत्येक कार्य के लिए सुविधा शुल्क देना पड़ता है। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करके मंजूर सुदा पदों को समाप्त किया जा रहा है। ताकि बेरोजगारों को रोजगार नहीं देना पड़े। इस सरकार ने मजदूरों के लिए बनाएं गए श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया। इसके स्थान पर चार श्रम संहिताएं बना दी। ताकि फैक्ट्री के मालिकों को हायर और फायर की नीतियों को अपनाने में आसानी हो सके।

 संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन कृषि विरोधी काले कानूनों को वापस लेने  के लिए 13 महीने तक आंदोलन चलाया। जिसमें 700 से अधिक किसानों की मृत्यु हो गई। हजारों किसानों के ऊपर मुकदमे बना दिए गए। देश के प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानून को वापस तो ले लिया।   लेकिन किसानों के लिए एम एस पी का कानून नहीं बनाया। न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून को बनाने सहित अन्य मांगों को लेकर जब किसान फिर से संघर्ष के मैदान में उतरा है। तब केंद्र और राज्य सरकार आंदोलन को दबाने के लिये हर तरह के ओछे हथकंडे अपना  रही है।उनके साथ तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाया  जा है। देश और प्रदेश के अंदर एक तरह से अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है। किसी भी नागरिक को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है।  गरीबों, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों एवं आदिवासियों पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। इसलिए लूट फुट झूठ का शासन बदलने के साथ नेता व नीति दोनों का बदलाव जरूरी है। इस लिए 
वामपंथी पार्टियों आम जनता के मुद्दों को लेकर रैली कर रही है। दोनों पार्टियों ने इस रैली के प्रचार प्रसार के लिए हैंड बिल वितरित किए। तथा इश्तिहार और पोस्टर भी सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए। बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर सभाएं भी की गई।

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