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डीसी विक्रम सिंह की राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के केसों की समीक्षा

Posted by : pramod goyal on : Monday 18 September 2023 0 comments
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 फरीदाबाद, 18 सितम्बर। डीसी विक्रम सिंह की अध्यक्षता में आज सोमवार को लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में जिला फरीदाबाद में लंबित राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के केसों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण के केसों का निपटान अधिकारी गंभीरता से करें। डीसी विक्रम ने एनजीटी के केसों की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए।

डीसी विक्रम सिंह ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण के केसों समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण के केसों का निपटान अधिकारी समयबद्ध तरीके से धरातल पर निरीक्षण करके पूरा करें। उन्होंने कहा कि सभी केसों का निपटान एनजीटी की हिदायतों के अनुसार ही करना सुनिश्चित करें। जिस विभाग की जो भी जिम्मेदारी है। उसे निर्धारित समय पर पूरा करना सुनिश्चित करें। वहीं उन्होंने बैठक में एनजीटी के टोटल 16 केसों  केसों की एक-एक करके समीक्षा की।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिकरण एनसीआर में गंभीरता से कार्य कर रहा है। इसलिए एनजीटी द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार जिला फरीदाबाद में नियमों की पालना करना सुनिश्चित करें।

बता दें विगत 18 अक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत पर्यावरण बचाव और वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधन सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिए अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना और इससे जुडे़ हुए मामलों का प्रभावशाली तथा  तीव्र गति से निपटारा करने के लिए किया गया है। यह एक विशिष्ट निकाय हैजो कि पर्यावरण विवादों बहु-अनुशासनिक मामलों सहितसुविज्ञता से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक तंत्रों से सुसज्जित है। यह अधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दिए गए कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है। लेकिन प्रकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यावरण से संबंधित सभी मामलों के तहत सुनवाई कर सकता है। वन अधिनियम 1980, वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981,जल अधिनियम 1974, जल उपकरण अधिनियम 1977, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, जैव विविधता अधिनियम 2002 शामिल हैं। एनजीटी का न्यायिक क्षेत्र बहुत अधिक विस्तार है। इसे सिविल न्यायालय की शक्तियां की प्राप्त है और दंड के रूप में अधिकतम 3 वर्षों की सजा तथा ₹10 करोड़ रुपये की धनराशि के आर्थिक दंड दे सकता है।

बैठक में एसडीएम फरीदाबाद परमजीत चहलएसडीएम बल्लभगढ़ त्रिलोक चंदएसडीएम बड़खल अमित मानडीआरओ बिजेन्द्र राणाएसीपी मुख्यालय अभिमन्यु गोयतएडीए विनीत चौधरीप्रदूषण बोर्ड से आरओ संदीप सिंह सहित अन्य विभागों के अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।


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