//# Adsense Code Here #//
फरीदाबाद,8 जुलाई। स्थाई नौकरी और 24 हजार रूपये न्यूनतम वेतन आदि मांगों को लेकर शनिवार को ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा के सेक्टर 8 कार्यलय में आक्रोश प्रदर्शन किया। फरीदाबाद, पलवल, सोहना और नुहँ जिलों में कार्यरत कर्मचारी सेक्टर 12 ओपन थियेटर में एकत्रित हुए और वहां से मूसलाधार बारिश में अपनी मांगों के समर्थन औ
र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा के सेक्टर 8 आफिस पर पहुंचे और उन्हें मांगों का ज्ञापन सौंपा। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा, सीटू के उपाध्यक्ष सतबीर सिंह, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के महासचिव विनोद कुमार,प्रधान देवी राम, सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर व महासचिव बीरेंद्र डंगवाल ने मंत्री को कहा कि ग्रामीण सफाई कर्मचारी समाज के सबसे निचले पायदान पर है और इनकी रेगुलराइजेशन और 24 हजार रुपए न्यूनतम वेतन सहित अन्य सभी मांगे बिल्कुल जायज है और आपको अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए इनका समाधान करवाना चाहिए। कैबिनेट मंत्री ने ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन व रेगुलराइजेशन की मांग को जायज़ बताया और प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री व पंचायत मंत्री से बातचीत करेंगे और इस पर सकारात्मक कार्रवाई करेंगे। कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा को दिए गए मांग पत्र में ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को पक्का करने,24 हजार न्यूनतम वेतन प्रतिमाह देने के अलावा बीडीपीओ के पेरोल पर लेने, 400 की आबादी पर एक कर्मचारी लगाने, वेतन को महँगाई के साथ जोड़ने, सहमति अनुसार काम के औजार ब्लॉक का वार्षिक भत्ता देने, धुलाई भत्ता भुगतान करने एवं वेतन बढोतरी के साथ वार्षिक बढौतरी का लाभ देने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया गया है। यूनियन के महासचिव विनोद कुमार व प्रधान देवी राम ने आगामी घोषणा करते हुये कहा कि रविवार 9 जुलाई को भाजपा अध्यक्ष ओमपकाश धनखड के झज्जर आवास पर और 16 जुलाई को सीएम सिटी करनाल में ग्रामीण सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगें और करनाल में ही आगे के आंदोलन की घोषणा करेंगे। यूनियन फरीदाबाद के प्रधान महेंद्र सिंह, सचिव दिनेश नुहँ के प्रधान नानक, सचिव मिथून, पलवल के नेता चन्द्रवीर, मोहन व सतपाल आदि ने प्रमुख रूप से संबोधित किया।
कर्मचारियों को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि सरकार ग्रामीण सफाई कर्मियों के साथ सरकार दुभात कर रही है। 2014 में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाले कच्चे सफाई कर्मियों को 8100 रुपये वेतन मिलता था। लेकिन आज ग्रामीण सफाई कर्मियों और शहरी कर्मियों के वेतन में जमीन-आसमान का फर्क हो चुका है। कर्मचारी नेताओं मंत्री को कहा कि बीएमएस की मांग पर ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को सरकार ने अगर रोजगार कौशल निगम में शामिल किया तो कर्मचारी इसका जमकर विरोध करेंगें और किसी भी सूरत में रोजगार कौशल को बर्दाश्त नही किया जाएगा। नेताओं ने कहा कि सरकार 16 साल से स्थाई काम पर कच्चे कर्मचारी रखकर लंबे से इस दलित दबके की मेहनत की लूट कर रही है। यही नहीं सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र को पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। उन्होंने कहा की देश के प्रधान मंत्री वोट लेने के लिए सफाई कर्मियों के पांव धोते हैं, कोरोना काल मे फूल बरसाए जाते हैं लेकिन नौकरी कच्ची ही रखी जा रही। आये दिन स्वच्छता का नारा देने वाली सरकार ग्रामीण सफाई कर्मियों को कस्सी, तसला, फावड़ा, झाड़ू, बेलचा, आदि काम के औजार और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपकरण नही दे रही। जब औजार ही नही होंगे तो कर्मचारी काम कैसे करेंगे।
यूनियन नेताओं ने कहा कि 20 अगस्त को पंचायत मंत्री ने टोहाना में ही यूनियन नेताओं के साथ वार्ता करते हुए एक सप्ताह में माँगों का समाधान करने का आश्वासन दिया था लेकिन पूरा नही किया। उसके बाद 26 दिसम्बर को विधान सभा कूच के अवसर पर फिर वार्ता हुई लेकिन मंत्री ने फिर वायदा खिलाफी की और आज तक समस्याओं का समाधान नही हुआ। 23 जनवरी 2023 को विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अनिल मलिक की अध्यक्षता में यूनियन और विभाग के अधिकारियों के बीच 3 प्रतिशत सालाना वेतन बढोतरी, 100 रुपये मासिक धुलाई भत्ता और 2000 रुपये सालाना औजारों का भत्ता देने की सहमति बनी, 17 अप्रैल से वो फाइल मुख्यमंत्री की टेबल पर पड़ी है जिसको जान बुझकर मंजूरी नही दी जा रही।
No comments :