फरीदाबाद 27 जून भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जिला कमेटी फरीदाबाद, ने आज मंगलवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करके अलग-अलग दो ज्ञापन सीटीएम फरीदाबाद को सोंपे। पहला ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम दिया गया। जिसमें फरीदाबाद की जनसमस्याओ का उल्लेख था। ज्ञापन में यह बताया गया। वैसे तो यह स्मार्ट सिटी है। लेकिन एक दिन पहले की बारिश ने स्मार्ट सिटी की पोल खोल कर रख दी। शहर की सड़कें जलमग्न हो गई थी । प्रशासन के पास जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं थी। ऐसा तब हो रहा है। जब फरीदाबाद शहर में तीन सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं। पहला नगर निगम, दूसरा एफएमडीए और तीसरा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण हैं। तीन विभागों के होने के बाद भी जलभराव की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। जगह जगह सीवर ओवरफ्लो कर रहे हैं। कई जगहों पर सीवर के ढक्कन ही नहीं। सीपीआईएम के जिला कमेटी सचिव शिवप्रसाद और जिला कमेटी सदस्य वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने एफएमडीए और नगर निगम के अधिकारियों पर ठीक ढंग से योजना नहीं बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा
कि बरसों पुरानी सीवरेज की लाइन जब तक रिप्लेस नहीं होंगी। तब तक जलभराव की समस्याओं से निजात नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा थोड़ी सी बारिश में फरीदाबाद की अधिकांश कॉलोनी और सेक्टरों में पानी भर जाता है । बरसाती पानी को निकालने की उचित व्यवस्था फरीदाबाद, प्रशासन नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि अधिकांश सड़कें टूटी हुई है। शहर की कई कालोनियों में लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। पार्टी ने आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक करने में आम लोगों से सुविधा शुल्क वसूलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कई परिवारों के बीपीएल कार्ड काट दिए गए हैं। जिसकी वजह से उन्हें खाद्य पदार्थ नहीं मिल पा रहे हैं। दूसरा ज्ञापन देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदया के नाम था। जिसमें किसानो के कर्जे माफ करने, एमएसपी का कानून बनाने, महंगाई पर रोक लगाने, बेरोजगारी को दूर करने का उल्लेख किया गया । उन्होंने बताया कि महंगाई लगातार बढ़ रही है। इसके कारण गरीबों और निर्धन लोगों को अपने परिवारों का पालन पोषण करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा महंगी हो गई है। प्राइवेट स्कूल गरीबों के बच्चों को अपने शिक्षण संस्थाओं में दाखिला नहीं देते हैं। जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली हैं। ऐसे ही हालात स्वास्थ्य के क्षेत्र में हैं। प्राइवेट अस्पतालों के मालिक गरीबों का इलाज अपने अस्पताल में नहीं करते हैं। किसान भारी कर्ज में है। जबकि सरकार की नीतियां किसानों की तुलना में कारखाने के मालिकों के लिए ज्यादा उदार दिखाई देती हैं। किसानों और गरीबों पर बैंकों से लिए गए कर्जों को वापस लौटाने का दबाव डाला जाता है। लेकिन बड़े-बड़े पूंजीपतियों और कारखाने के मालिकों पर इस तरह की कार्रवाई नहीं होती है। . बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। सरकार जन सेवाओं के महकमों में खाली पड़े पदों को सीधी भर्ती से नहीं भर रही है। इसके बजाय सार्वजनिक विभागों के आकार को घटाकर उनका निजीकरण हो रहा है। आज की प्रदर्शन को निरन्तर पराशर, वीरेंद्र पाल, धीरेन्द्र कुमार, धर्मवीर वैष्णव, अनिल कुमार, विभूति सिंह, के पी सिंह, जितेंद्र सिंह, हरी लाल यादव, दीपक कुमार, देवेंद्र, आदि ने भी संबोधित किया।
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