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डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग ने मनाया बैसाखी उत्सव

Posted by : pramod goyal on : Thursday 14 April 2022 0 comments
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 Faridabad: नए दौर, नए युग की शुरुआत, सत्यता और कर्तव्यता हो सदा साथ, बैसाखी का यह सुंदर पर्व, सदैव याद दिलाता है मानवता का पाठ इन सुंदर पंक्तियों के साथ बैसाखी उत्सव कार्यक्रम का आगाज़ हुआ। डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय के पत्रकारिता विभाग द्वारा बैसाखी के उत्सव पर एक विशेष रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इ


स कार्यक्रम में विश्व प्रकाश मिशन के संस्थापक श्री राकेश सेठी मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे । महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. सविता भगत व् बी.जे.एम.सी. कोऑर्डिनेटर डॉ शिवानी ने पुष्प एवं शॉल भेंट कर मुख्य अतिथि  का स्वागत किया | विश्व प्रकाश मिशन गरीब और जरूरतमंद बच्चो की सहायता करता रहता है व् तकरीबन दो सौ अटठाईस बच्चो को पचास लाख से भी अधिक वित्तीय सहायता प्रदान कर चुका है । विश्व प्रकाश मिशन द्वारा सहायता प्राप्त सभी बच्चे आज अच्छी जगहों पर कार्यरत भी हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को बैसाखी के पर्व के बारे में बताना एवम् जालियांवाला बाग में भारतीयों द्वारा दी गई शहादत से परिचित करवाना रहा । इस उत्सव में छात्रों ने एक तरफ विभिन्न पंजाबी नृत्य प्रस्तुत कर बैसाखी के रंग भरे, वहीँ दूसरी तरफ जलियांवाला बाग हत्याकांड के बावजूद देश के युवाओं में  आजादी को पाने के लिए कुर्बान होने के जुनून को दिखाने के लिए एक शानदार नाटक का मंचन भी किया गया |  इस रंगारंग कार्यक्रम ने  उपस्थित अतिथियों एवम् छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया । मुख्य अतिथि श्री सेठी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी रहे हैं । उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मानव सेवा ही  परम धर्म है और हम सबको ऐसे नेक कर्म करते रहना चाहिए । उन्होंने उपस्थिति सभी लोगो को बैसाखी की बधाई दी और उन्होंने वित्तीय साक्षरता के बारे मे अपना ज्ञान भी सांझा किया । उन्होंने पत्रकारिता विभाग को बधाई दी एवं सभी प्रतिभागियों की प्रशंसा एवम् हौसला अफजाई की । महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. सविता भगत ने अपने वक्तव्य में बैसाखी का इतिहास बताया और कहा कि यह त्योहार पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है, लेकिन मूलत: यह एक सिख त्योहार है जो सिख समुदाय के लिए नए साल का प्रतीक है । यह गुरु गोबिंद सिंह के योद्धाओं के खालसा पंथ को सम्मान देने का भी एक तरीका है । उन्होंने अपने संबोधन में ये भी कहा कि वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना हुई थी । इस समय के दौरान रबी फसल पूरी हो जाती है और देशभर के किसान इस दिन फ़सल को काटने का जश्न मनाते हैं । अंत में विभागाध्यक्ष रचना कसाना ने सभी लोगो का एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। मंच संचालन कर रही पत्रकारिता विभाग की छात्राओं अंकिता व डौली का कार्यक्रम के कुशल संचालन के लिए प्रशंसा की ।

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