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देखो देखो बाईस्कोप देखो.. ओ पइसा फेंको तमाशा देखो

Posted by : pramod goyal on : Thursday 24 March 2022 0 comments
pramod goyal
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 सूरजकुंड, 24 मार्च। सूरजकुंड मेले की विशेषता है कि यह नए युग को पुराने काल से जोड़ता है। यहां अनेक ऐसी वस्तुएं, परंपराएं तथा कला के नमूने देखने को मिलते हैं, जो कि अब धरातल पर नहीं है। इन्हीं में से एक है-बाईस्कोप।

बाईस्कोप दिखाने वाले आज से चालीस साल पहले गली-गली में घूमते थे और एक रूपया या दो रूपए लेकर अपने बकसे में फिल्मी गाने बजाकर उन पर फिल्मों के सीन दिखाया करते थे। अब बच्चों को मोबाइल गेम से फुर्सत नहीं मिलती, इसलिए बाईस्कोप ना तो देखने वाले रहे और ना ही दिखाने वाले। अजमेर के समीप विजयनगर के भंवरलाल हर साल सूरजकुंड में बाईस्कोप लेकर आते हैं। उनके चार पौत्र भी उनके साथ मेले में बाईस्कोप दिखा रहे हैं।
इन्हीं में से एक गोविंद ने बताया कि उनके दादा-परदादा यही काम करते थे। अब उनके पिता की तबियत खराब है। इसलिए वो नहीं आए, लेकिन 80 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग भंवर जी पेट की खातिर यहां मौजूद है। उनके बाईस्कोप का क्रेज कम होने से आमदनी आशा के अनुकूल नहीं है। अब गोविंद को यही चिंता सता रही है कि कमाई के बिना उसके पिता का ईलाज कैसे होगा। नौवीं कक्षा के इस विद्यार्थी ने बताया कि वह पुलिस में भर्ती होना चाहता है।


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