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सूरजकुंड, 23 मार्च। ओ लाल मेरी पत रखियो भला झूले लालण, सिंधीड़ा दा सेवण दा सखी शाबाश कलंदर..दमादम मस्त कलंदर अली दम दे अंदर..मस्त कव्वाली गाकर शफी सोपोरी ने कश्मीर की काबिलियत को जाहिर किया। उनके मोहब्बत भरे शब्दों ने सूफियाना गायकी में नफासत भर दी।
मंच के उद् घोषक जैनेंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि किस प्रकार से एक कठिन संघर्ष करते हुए शफी सोपोरी ने कामयाबी की मंजिल हासिल की। गुरबत की परवाह नहीं की और ना ही बचपन में अनाथ होने के लिए भगवान को दोष दिया। वह परमसत्ता पर भरोसा कर जीवन में आगे बढ़ते चले गए और सफलता को पाकर रहे। शफी ने सबसे पहले आंख उठी मोहब्बत ने अंगड़ाई ली..कव्वाली को अपने निराले अंदाज में सुनाया। उसके बाद उन्होंने छाप तिलक सब छिनी रे... से महफिल में चार चांद लगा दिए।शफी सोपोरी से पहले जम्मू की सोनाली डोगरा ने पहाड़ी जीवनशैली के खान-पान पर आधारित लोकगीत ठंडा पाणी पीते ए पहाडिय़ां ए लोग मधुर आवाज में प्रस्तुत किया। दम गुटकुं..दम गुटकुं कर सांई असा कलमा नबी दा पढ़ सांई कलाम को बाखूबी पेश किया। उनके हरियाणवी गीत तेरी आंखा का यो काजल सुनकर तो लडक़े-लड़कियों ने जमकर नाचना शुरू कर दिया।
इस दौरान पूर्व राजनायिक राहुल छाबड़ा, जम्मू कश्मीर शिल्पकला विभाग के निदेशक विकास गुप्ता, मेला प्रबंधन में मुख्य प्रशासक डा. नीरज, अतिरिक्त उपायुक्त सतबीर मान, राजेश जून, विवेक भारद्वाज, विरेंद्र इत्यादि उपस्थित रहे।
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