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"सांझी विरासत बचाओ अभियान" के नाम से भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव सिंह के शहादत दिवस पर सेमिनार का आयोजन

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 23 March 2022 0 comments
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 फरीदाबाद 23मार्च  सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू जिला कमेटी फरीदाबाद ने आज बुधवार को बसे लुआं कॉलोनी में आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर  शहीद  यादगार समित रोहतक  के आह्वान पर "सांझी विरासत बचाओ अभियान" के नाम से भगत सिंह राजगुरु सुखदेव सिंह के शहादत दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया। सर्वप्रथम तीनों महान क्रांतिकारियों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।इसके बाद  गगनभेदी नारे लगाए गए। इस सेमिनार की अध्यक्षता सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर ने की जबकि, संचालन सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने किया। इस मौके पर  उपस्थित विभिन्न यूनियनों के पदाधिकारियों ने भी महान क्रांतिकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित कि


ए। कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि यह अभियान 23मार्च आज से शुरू हो कर जनवरी 2023 तक चलेगा। भगत सिंह की जीवन पर रोशनी डालते हुए बताया कि उनका जन्म 27 सितंबर 1907 को गांव खटकड़ कला तहसील बंगा जिला जालंधर में हुआ था। इससे पहले इनके पिता श्री किशन सिंह लायलपुर अब फैसलाबाद पाकिस्तान में चले गए थे। यहां पर 1905 में  नई बस्तियों वाले इलाके में बहुत बड़ा किसान आंदोलन हुआ था। इसमें लाला लाजपत राय और अजीत सिंह ने भाग लिया था। भगत सिंह ने अपने बचपन में सबसे ज्यादा प्रेरणा अपने चाचा अजीत सिंह से हासिल की थी। भगत सिंह एक दूरदर्शी जागरूक राजनीतिक थे। भगत सिंह की बेमिसाल कुर्बानी ने भारतीय जनता के मन में अमिट छाप  छोड़ी थी। सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को हुआ था।इनका का पूरा नाम सुखदेव थापर था। वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी थे। उनको भी 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई। सुखदेव भी सरदार भगत सिंह की तरह बचपन से ही आजादी का सपना पाले हुए थे। यह दोनों लाहौर  नेशनल कॉलेज के छात्र थे। राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे मुंबई में हुआ था। इन तीनों की कुर्बानी ने भारतीय जन गण के भीतर आजादी के लिए कई गुना क्रांतिकारी जोश पैदा किया था। जो आगे के सभी आंदोलनों में दिखाई देता है। विशेषकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन और आई एन ए और नेवी  विद्रोह के रूप में दिखाई दिया था इंकलाब जिंदाबाद का नारा ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासन पर कड़े प्रहार करने लगा। समाजवाद राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गया। जिसने शिक्षित नौजवानों को आकर्षित किया। और क्रांतिकारी भावना दिनोंदिन व्यापक होती चली गई। शहीद ए आजम भगत सिंह ने अपनी व्यक्तिगत आकांक्षा को पीछे धकेल कर दल को आगे बढ़ाया। उन्होंने कभी भी दल और आंदोलन से संबंधित निर्णय नहीं किए। व्यक्ति से पार्टी और संगठन को हमेशा ऊपर रखा। भगत सिंह से पूर्व के क्रांतिकारी बिखरे हुए थे। असंगठित आंदोलन स्वाधीनता आंदोलन में प्रभावी भूमिका अदा नहीं कर पा रहा था। बिखरे हुए द लों को एकता के सूत्र में पिरोना और सांगठनिक ढांचे में जनवादी कार्य को जन्म देने का श्रेय भगत सिंह को जाता है। सेमिनार में आंगनबाड़ी आंदोलन के समर्थन में प्रस्ताव पास किया गया। सरकार के द्वारा उनकी मांगों की लगातार अनदेखी करने के विरोध में 26 मार्च को कलायत में होने वाली महापंचायत में भाग लेने का प्रस्ताव भी पास किया गया। सेमिनार में आगामी 28-29 मार्च को विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर होने वाली हड़ताल को सफल बनाने का प्रस्ताव भी पास किया गया। सेमिनार के बाद आंगनवाड़ी वर्करों और हेल्परों के समर्थन में सीटू ऑफिस से लेकर बासेलुआ  कॉलोनी से लेकर सेक्टर 29 तक जुलूस निकाला गया। आज के सेमिनार में कामरेड शिवप्रसाद, कामरेड विजय झा, कामरेड वीरेंद्र पाल, कामरेड नवीन अरोड़ा,हरियाणा ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के राज्य प्रधान देवी राम, कर्मचारी नेता धर्मवीर वैष्णव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन की जिला सचिव माल वाती, मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की प्रधान कमलेश, आशा वर्कर यूनियन के जिला सचिव सुधा पाल,नीलम जोशी, अनीता भारद्वाज, रवि गुलिया, के पी सिंह, आदि उपस्थित रहे।

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