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केन्द्रीय आम बजट में कर्मचारियों के लिए आयकर छूट सीमा बढ़ाने से इन्कार और कारपोरेट घरानों को टेक्स में भारी छूट देने का फैसला जले पर नमक छिड़कने जैसा - सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Thursday 3 February 2022 0 comments
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 फरीदाबाद,3 फरवरी।


केन्द्रीय आम बजट में कर्मचारियों के लिए आयकर छूट सीमा बढ़ाने से इन्कार करने और कारपोरेट घरानों को टेक्स में भारी छूट देने का फैसला जले पर नमक छिड़कने जैसा है। यह आरोप सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने लगाते हुए बताया कि मंगलवार को पेश किए गए आम बजट में कर्मचारियों को टेक्स में कोई राहत न देने और पुरानी पेंशन बहाली न करने पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि पहले ही सरकार 18 महीने का डीए मार कर बैठी है। ऊपर से सरकार की दोषपूर्ण टेक्स प्रणाली के चलते तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को अपना डेढ़ से दो मास का वेतन हर साल टेक्स में देना पड़ रहा है। कर्मचारी के पास साल में मुश्किल से दस महीने का वेतन ही बचता है। जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नीति में शामिल करने की बजाए सरकार एनपीएस को बनाए रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार बजट में प्रदेश में 1.62 लाख समेत देश भर के करोड़ों कच्चे कर्मचारियों को नियमित करना तो दूर समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने से भी वंचित रखा गया है। उन्होंने बताया कि जीपीएफ समेत बचत और अल्प बचतों पर ब्याज दरों में भी कोई बढ़ोतरी न होने से कर्मचारी व पेंशनर्ज दोनों में  केंद्र सरकार के प्रति भारी गुस्सा है। बजट में सरकारी विभागों में खाली पड़े लाखों पदों पर नियमित भर्ती कर बेरोजगारों को रोजगार व जनता को बेहतर जन सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में भी कोई ठोस कदम नही उठाया है। बजट में जिस डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया गया है उससे और बेरोजगारी बढ़नी निश्चित है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा निश्चित रूप से इन कदमों का डटकर विरोध करेगा। 


लाम्बा ने कहा कि केंद्रीय बजट पूरी तरह वैश्वीकरण, उदारीकरण व निजीकरण की नीतियों को तेजी से आगे बढ़ाने वाला है। बजट में कोरोना की आड़ में आन लाइन शिक्षा पर जोर देते हुए जो वन क्लास वन टीवी चेनल, ई-प्रयोगशाला व डिजिटल विश्विद्यालय की स्थापना एवं डिजिटल टीचर की व्यवस्था सार्वजनिक शिक्षा के निजीकरण की और सरकार का बढ़ता कदम है। इससे गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित होंगे। इसी प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में जनता के इलाज की गारंटी की बजाए डिजिटल इको हेल्थ सिस्टम के तहत हेल्थ कार्ड बनाने के नाम पर जनता को गुमराह करने पर लगी है। सरकार इलाज का जिम्मा बीमा कंपनियों के हवाले कर अपनी जिम्मेवारी से बचना चाहती है। सार्वजनिक शिक्षा व स्वास्थ्य हर नागरिक का मौलिक एवं सवैधानिक अधिकार है। इसलिए इनके निजीकरण को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही करेगा। 

उन्होंने कहा कि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा का स्प्ष्ट मानना है कि यह बजट जंहा कर्मचारी, मजदूर, किसान, बेरोजगार व मेहनतकश जनता की परेशानियों को और बढ़ाएगा  वंही कार्पोरेट्स के लिए अमृत काल जरूर साबित होगा। बजट में कार्पोरेट्स को टेक्सो में भारी छूट दी गई है। केंद्र में मोदी सरकार आने से पहले कार्पोरेट्स टेक्स जो 30% था वह इस बजट में  घटकर 15% रह गया है। टेक्स पर लगने वाले सरचार्ज को भी 12% से कम कर 7% कर दिया गया है। स्टार्ट अप में दी जाने वाली छूट की अवधि बढ़ाना व इज आफ डूइंग बिजनेस के लिए बजट में बाकायदा पूंजीपतियों को विश्वास आधारित शासन देने का एलान किया गया है। निजी निवेश व पीपीपी मॉडल यह सभी निजीकरण को बढ़ावा देने वाले  कदम है जिनका फिर से इस बजट में गुणगान किया गया है।केंद्र सरकार की लांच की गई राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाईपलाईन नीति को बजट में वन स्टेशन वन प्रोडक्ट की व्यवस्था कर अमली जामा पहना दिया गया है। 

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