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विश्व हिंदी दिवस - एकता के सूत्र में पिरोए रखने की भाषा है हिंदी

Posted by : pramod goyal on : Monday 10 January 2022 0 comments
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 राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में विश्व हिंदी दिवस पर वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि विश्व हिन्दी


दिवस मनाने का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार और प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। उन्होंने कहा कि हिंदी विश्व के तीस से अधिक देशों में पढ़ी-पढ़ाई जाती है। भारत, फिजी के अतिरिक्त मॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम ,यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ हिंदी बोली और समझी जाती है। विश्व के सौ से भी अधिक विश्व विद्यालयों में उसके लिए अध्यापन केंद्र खुले हुए हैं अमेरिका में लगभग एक सौ पचास से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन पाठन हो रहा है। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि विद्यालय में एक्टिविटीज कॉर्डिनेटर डॉक्टर जसनीत कौर और बालिकाओं भूमिका, हर्षिता, सृष्टि मेघवाल, सिया और सोनम ने वर्चुअल कार्यक्रम में पोस्टर बना कर हिंदी के अधिक से अधिक उपयोग करने के लिय प्रेरित किया। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था और तब से इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करना और सभी देशों में हिंदी भाषा को बढ़ावा देना है। हिंदी मात्र भावों की अभिव्यक्ति नही अपितु देश की एकता के सूत्र में पिरोए रखने की भाषा है। हमारे लिए एक हिंदी भाषी होने के नाते न केवल गर्व करने का अवसर होता है अपितु एक भाषा के रूप में हिंदी के मूल्यांकन का भी अवसर होता है। बाजार और फिल्मों के माध्यम से जहां हिंदी ने वैश्विक स्तर पर जहां अपनी छाप छोड़ी है, वहीं देश और हिंदी भाषी प्रदेशों में हिंदी के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।प्राचार्य मनचंदा ने प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर और सभी छात्राओं का वर्चुअल कार्यक्रम में भागीदारिता के लिए और हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार करने के लिए आभार व्यक्त करते हुए अभिनंदन किया।

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