HEADLINES


More

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को किसानों के ऐतिहासिक जीत करार दिया

Posted by : pramod goyal on : Friday 19 November 2021 0 comments
pramod goyal
//# Adsense Code Here #//

 सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने तीनों असंवैधानिक किसान विरोधी व कारपोरेट समर्थक काले कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को किसानों के ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व आंदोलन एवं लोकतंत्र की जीत व सरकार के अहंकार की हार करार दिया है। आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री व आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन के कोषाध्यक्ष श्रीपाल सिंह भाटी ने इसके लिए पिछले डेढ़ साल से आंदोलन कर रहे सभी  किसानों और आंदोलन को समर्थन देने वाले मजदूरों, कर्मचारियों व समाज


के सभी तबकों बधाई दी है। उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन के आह्वानों में पुलिस सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के नेताओं के घरों पर छापेमारी करती रही है। क्योंकि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा किसान आंदोलन का तन मन धन से सहयोग एवं समर्थन कर रहा है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और माफी मांगने का स्वागत किया है और इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपनी धोषणा में संयुक्त किसान मोर्चा की प्रमुख मांगों में शामिल एमएसपी को कानूनी गारंटी देने व बिजली संशोधन बिल 2021 को वापस लेने की मांग को संबोधित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है, जिनको बचाया जा सकता था। प्रधानमंत्री ने एक शब्द इन किसानों की मौत पर नही बोला। उन्होंने कहा कि आंदोलन में हजारों किसानों के खिलाफ संगीन धाराओं में झुठे मुकदमे दर्ज किए हुए हैं। उन्होंने सरकार को सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के लिए सभी मुकदमों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि कल तक आंदोलनरत किसानों को आंदोलनजीवी, परजीवी, आंतकवादी, खालीस्थानी, शरारती तत्व, नक्सली, कांग्रेसी,कामरेड आदि बताने वाले किसानों को किसान बताते हुए आंदोलन वापस लेने और प्रधानमंत्री का धन्यवाद करने का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की जीत से श्रम कानूनों को रद्द कर बनाए गए लेबर कोड्स और नेशनल मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने, पुरानी पेंशन बहाली व ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मियों को पक्का करने आदि मांगों को लेकर कर्मचारियों एवं मजदूरों को चल रहे आंदोलन को भी बल मिलेगा।

No comments :

Leave a Reply