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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड, जूनियर रेडक्रॉस और गाइड्स ने आपदा प्रबंधन के अंतर्गत बालिकाओं को भूकम्प और आग से बचाव के लिए जागरूक किया। ब्रिगेड एवम जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि उत्तर भारत में प्राकृतिक आपदा में आग, भूकंप, बाढ़ व सूखा
अधिक संभावित क्षेत्र हैं। प्राकृतिक आपदा मानवनिर्मित आपदाओं जैसे आग आदि की पुनरावृति से मिलकर और बढ़ जाती हैं। आपदा दो प्रकार की होती हैं- प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदा जैसे आग, दुर्घटनाएँ सड़क, रेल या वायु, औद्योगिक दुर्घटनाएँ या महामारी मानव निर्मित आपदा हैं प्राकृति
क और मानवनिर्मित दोनों ही आपदा भयानक विनाश करती हैं। मानव जीवन की क्षति, जीविका उपार्जन के साधनों, सम्पत्ति और पर्यावरण का अवक्रमण आदि। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि आपदाओं से समाज के सामान्य क्रियाकलापों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इसका दुष्प्रभाव दीर्घकालीन होता है। घर में गीजर, बड़े फ्रेम वाले फोटो आदि ऐसे स्थानों पर ऊँचे न टांगें कि वे गिर कर किसी को घायल कर सकें। भूकम्प के समय आपकी सबसे बढ़िया प्रतिक्रिया होगी कि निकल भागें, ओट लें अथवा जैसे हैं खड़े रहें, पृथ्वी पर लेट जाएँ, किसी मजबूत मेज या बेड के नीचे छिप जाएँ, घुटनों पर सिर रख लें, सिर हाथों से ढक लें। कोई मेज या बेड आदि ओट लेने को न हो तो दरवाजे के बीच खड़े हों और भूकम्प रुकने का इन्तजार करें, गिर सकने वाली भारी वस्तुओं से दूर रहें। आप घर से बाहर हैं तो बिजली के तारों, दीवारों और पेड़ों से दूर रहें। भवन के पास न खड़े हों क्योंकि वह गिर सकता है। यदि आप किसी चलती गाड़ी में हैं तो भी भवन, दीवार और पेड़ से दूर ठहर जाएँ। इसी प्रकार आग लगने पर अपने मुँह को भीगे तौलिये से ढकें ताकि धुआं असर न करे। भागते समय रेंग कर निकलें क्योंकि ऊपर जहरीली गैसें, धुआं हो सकता है। यदि कपड़ों में आग लग जाए तो भागें नहीं। आग बुझाने के लिए जमीन पर लुढ़कें। जले भाग को ठंडक पहुँचाएँ और विशेष प्राथमिक चिकित्सा का लाभ उठाएँ। इन उपायों का ज्ञान होने से आपदा में भी सुरक्षित रहा जा सकता है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और कॉर्डिनेटर डॉक्टर जसनीत कौर ने बलिकाओं का पोस्टर के माध्यम से प्री प्रिपेयरडनेस और पोस्ट प्रिपेयर्डनेस का संदेश देने के लिए बहुत प्रशंसा की। इस अवसर पर शिवम, संजय मिश्रा, अंशुल, पूनम एवम अन्य अध्यापकों ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन किया।
क और मानवनिर्मित दोनों ही आपदा भयानक विनाश करती हैं। मानव जीवन की क्षति, जीविका उपार्जन के साधनों, सम्पत्ति और पर्यावरण का अवक्रमण आदि। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि आपदाओं से समाज के सामान्य क्रियाकलापों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इसका दुष्प्रभाव दीर्घकालीन होता है। घर में गीजर, बड़े फ्रेम वाले फोटो आदि ऐसे स्थानों पर ऊँचे न टांगें कि वे गिर कर किसी को घायल कर सकें। भूकम्प के समय आपकी सबसे बढ़िया प्रतिक्रिया होगी कि निकल भागें, ओट लें अथवा जैसे हैं खड़े रहें, पृथ्वी पर लेट जाएँ, किसी मजबूत मेज या बेड के नीचे छिप जाएँ, घुटनों पर सिर रख लें, सिर हाथों से ढक लें। कोई मेज या बेड आदि ओट लेने को न हो तो दरवाजे के बीच खड़े हों और भूकम्प रुकने का इन्तजार करें, गिर सकने वाली भारी वस्तुओं से दूर रहें। आप घर से बाहर हैं तो बिजली के तारों, दीवारों और पेड़ों से दूर रहें। भवन के पास न खड़े हों क्योंकि वह गिर सकता है। यदि आप किसी चलती गाड़ी में हैं तो भी भवन, दीवार और पेड़ से दूर ठहर जाएँ। इसी प्रकार आग लगने पर अपने मुँह को भीगे तौलिये से ढकें ताकि धुआं असर न करे। भागते समय रेंग कर निकलें क्योंकि ऊपर जहरीली गैसें, धुआं हो सकता है। यदि कपड़ों में आग लग जाए तो भागें नहीं। आग बुझाने के लिए जमीन पर लुढ़कें। जले भाग को ठंडक पहुँचाएँ और विशेष प्राथमिक चिकित्सा का लाभ उठाएँ। इन उपायों का ज्ञान होने से आपदा में भी सुरक्षित रहा जा सकता है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और कॉर्डिनेटर डॉक्टर जसनीत कौर ने बलिकाओं का पोस्टर के माध्यम से प्री प्रिपेयरडनेस और पोस्ट प्रिपेयर्डनेस का संदेश देने के लिए बहुत प्रशंसा की। इस अवसर पर शिवम, संजय मिश्रा, अंशुल, पूनम एवम अन्य अध्यापकों ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन किया।
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