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शिक्षा निदेशालय ने डीईओ से 25 तक मांगा कंडम कमरों का ब्यौरा

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 22 September 2021 0 comments
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 अभिभावक एकता मंच द्वारा अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा डॉ महावीर सिंह स्कूलों को सरकारी स्कूलों की कंडम व जर्जर हो चुकी बिल्डिंग व कमरों की जगह नए कमरे बनवाने विषय पर लिखे गए पत्र पर संज्ञान लेते हुए स्कूल शिक्षा निदेशालय पंचकूला ने फरीदाबाद सहित सभी जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, जिला परियोजना समग्र अधिकारी  से 25 सितंबर तक कंडम व जर्जर कमरों का ब्यौरा मांगा है। ब्यौरे में विद्यालय का नाम, छात्र संख्या, स्कूल क्लास रूम, कंडम क्लास रूम, पीडब्ल्यूडी द्वारा स्कूल भवन को कंडम घोषित किया गया है या नहीं, क्लास रूम की मांग बतानी होगी। हरियाणा अभिभावक एकता


मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने इसको मंच के प्रयास की सफलता बताते हुए कहा है कि शिक्षा निदेशालय से इस विषय पर पहले भी कई पत्र आए हैं लेकिन  जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने उस पर कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की।

मंच का कहना है कि अगर इस बार भी ऐसा हुआ तो मंच की ओर से पुनः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका डालकर इस मुद्दे पर उसी प्रकार कार्रवाई कराई जाएगी जिस  प्रकार इस समय अनंगपुर, तिगांव, फरीदपुर, मोहना, गोच्छी में बन रही तीन चार मंजिली आधुनिक स्कूल बिल्डिंग को लेकर कराई गई थी। याचिका में जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद को भी पार्टी बनाया जाएगा। प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि फरीदाबाद जिले में 36 स्कूलों के 177 कमरे तो वे हैं जिन्हें पीडब्ल्यूडी ने चार पांच साल पहले ही कंडम व  जर्जर घोषित कर रखा है इसके अलावा 30 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं जिनके काफी कमरे कंडम व जर्जर हो चुके हैं जिनको पीडब्ल्यूडी ने कंडम घोषित नहीं किया है लेकिन उनकी जानकारी संबंधित प्रिंसिपल व हेड मास्टर ने लिखित में कई बार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भेजी है। इस जानकारी के बाद आज तक जिला शिक्षा अधिकारी ने ना तो ऐसे स्कूलों के कमरों का निरीक्षण किया और ना पीडब्ल्यूडी से उनको कंडम व जर्जर करवाने की कोशिश की। मंच का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय हमेशा प्राइवेट स्कूलों को किसी ना किसी रूप से फायदा पहुंचाने की कार्रवाई में लगा रहता है वह सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग में सुधार कराने और उनमें सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराने का कोई प्रयास नहीं करता है।

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