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फरीदाबाद। क्या ऐसे राजनीतिज्ञों को जनता बनायेगी अपना प्रतिनिधि , जों न केवल चुनाव बल्कि उससें पहले भी न तो जनता के साथ जुडे होते है और न ही उनका फोन तक उठाने की जेहमत उठाते है। आम तौर पर देखा गया है कि कई नेता केवल चुनाव के समय ही अपने धन-बल के माध्यम से अपने कुछ चमचों के साथ चुनाव मैदान में नजर आते है। उनका मानना होता है कि जनता तो बेवाकूफ है और समय पर उनका वोट दे ही देगी । ये वे नेता है जो हारने व जीतने दोनों ही सूरतो में न तो लोगों केफोन उठाते है और न ही उनके दुख दर्द में शामिल होते है। दुख-दर्द से अर्थ यह नही है कि वे केवल किसी के मरने कुल्ला करने नहीं जाते है। बल्कि जब जनता सरकार व उसके प्रतिनिधियों से त्रस्त होती तो ऐसे नेताओं का कुछ अता -पता नहीं होता है। ऐसे नेता आपकों किसी भी दल में मिल जायेगें, जो जनता को मूर्ख समझ कर आखिरी यानि चुनाव के दिनों में ही दिखाई देगें। ऐसे नेताओं से वोटरों को सावधान रहने की जरूरत है।
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