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पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय केस एलपीए नंबर 421/2020 में आदेश दिनांक 01-10-2020 में सीएम 1845/2020 में आदेश दिनांक 09-10-2020 में पारित आदेशों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगा दी है

Posted by : pramod goyal on : Thursday 1 April 2021 0 comments
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 फरीदाबाद, 1 अप्रैल। डिविजनल कमिश्नर एवं चैयरमेन फी एंड फण्ड रेगुलेटरी कमेटी संजय जून ने बताया है कि अनेक स्कूलों में पढने वाले बच्चों के अभिभावकों द्वारा स्कूल की फीस के संबंध में काफी प्रतिवेदन उनके कार्यालय में दिए जा रहे हैं। इस विषय में पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय केस एलपीए नंबर 421/2020 में आदेश दिनांक 01-10-2020 में सीएम 1845/2020 में आदेश दिनांक 09-10-2020 में पारित आदेशों पर माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली द्वारा रोक लगा दी हैतथा यह आदेश दिए हैं कि एसएलपी (सी) नंबर- 27987-27916 ऑफ 2019 केस अनुमान गांधी सेवा सदन बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान में पारित आदेश 08-02-2021 में जो दिशा-निर्देश दिए गए हैंवह लागू होगा। केस में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा  आदेश पारित करने के लिए कहा गया वह इस प्रकार से हैं। प्रबंधन/स्कूल शैक्षणिक 2019-2020 के साथ-साथ छात्रों से 2020-2021 के लिए फीस जमा कर सकते हैंशैक्षणिक वर्ष 2019 के लिए अधिसूचित फीस राशि के बराबर- मार्च, 2021 से शुरू होने वाली छह मासिक किश्तों में 2020 और अगस्त को समाप्त 2021 प्रबंधन किसी भी छात्र को भौतिक कक्षाओं के लिए अन्य ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने से रोक नहीं देगाजो कि फीस का भुगतानबकाया/ बकाया किस्तों सहितऊपर उल्लिखित हैऔर किसी भी छात्र की परीक्षा के परिणामों को नहीं रखेगा। उस खाते पर जहां माता-पिता को इस अंतरिम आदेश के संदर्भ में शुल्क को दूर करने में कठिनाई होती हैयह उन माता-पिता के लिए एक व्यक्तिगत प्रतिनिधित्व द्वारा संबंधित स्कूल से संपर्क करने के लिए खुला होगा और स्कूल का प्रबंधन एक मामले पर इस तरह के प्रतिनिधित्व पर विचार करेगा। मामला आधार सहानुभूतिपूर्वक उपरोक्त व्यवस्था शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए फीस के संग्रह को प्रभावित नहीं करेगाजो छात्रों द्वारा देय होगा और जब यह देय और देय हो जाता हैऔर 10वीं और 12वीं (2021 में जारी रखने के लिए) बोर्ड परीक्षा सुनिश्चित करने के संबंध में प्रबंधन/स्कूल द्वारा अधिसूचित किया जाता हैतो स्कूल प्रबंधन किसी भी छात्र/उम्मीदवार के नाम को वापस नहीं लेगा। गैर-भुगतान शुल्क/बकाया राशि, यदि कोई होके आधार पर संबंधित माता-पिता/छात्र के उपक्रम के आधार पर उपरोक्त व्यवस्था इस मामले के परिणाम के अधीन होगी जिसमें पार्टियों को दी जाने वाली अंतिम दिशाएं शामिल हैं और इन कार्यवाहियों में पक्षकारों के अधिकारों और संतोषों के पक्षपात के बिना पार्टियों के अधिकार और संतोष के बिनाहम राजस्थान राज्य को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश देते हैं कि संबंधित गैर-लाभकारी स्कूल को देय इकाई लागत के लिए सभी सरकारी बकाया राशि एक महीने के भीतर निपटाई जाए। आज औरकिसी भी मामले में, 31 मार्च 2021 से पहले के आदेश अनुसार। उन्होंने इस संबंध में जिले के शिक्षा अधिकारी एवं मौलिक शिक्षा अधिकारी को आदेश देते हुए निर्देश दिए हैं कि वे माननीय उच्च न्यायालयनई दिल्ली द्वारा पारित आदेशों के अनुसार इस संबंध में कार्रवाई करें और उक्त आदेश द्वारा फीस के संबंध में प्राप्त अभिभावकों के सभी प्रतिवेदनो का निपटान करें।


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