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पे कमीशन के टर्म्स ऑफ रेफरेंस कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों के खिलाफ : सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Wednesday, 29 October 2025 0 comments
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 चंडीगढ़, 29 अक्टूबर। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ और कनफरडेशन ऑफ सेट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स ने केबिनेट द्वारा मंजूरी दिए गए आठवें पे कमीशन के टर्म्स एंड रेफरेंस को कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों के खिलाफ करार दिया है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव ए.श्री कुमार और कनफरडेशन ऑफ सेट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के उपाध्यक्ष आर एन पा


राशर ने बताया कि छठे व सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के टर्म्स एंड रेफरेंस में पेंशन रीवीजन का विचारार्थ विषय है। जबकि 8वें पे कमीशन के टर्म्स एंड रेफरेंस में पुरानी पेंशन स्कीम, जिस पर कोई कंट्रीब्यूशन कर्मचारियों से नही लिया जाता,उसकी समीक्षा का विषय है तथा उसके खर्च पर विचार करना भी है, जो संदेह पैदा करता है कि ओपीएस से छेड़खानी की जा सकती है। इसके लिए पहले ही सरकार फाइनैंन्शियल बिल के माध्यम से वैलिडेशन एक्ट संसद से पारित करवा भी चुकी है। जिसके अनुसार आठवें पे कमीशन की सिफारिशों अनुसार पुराने पेंशनर्स की पेंशन रिवीजन करने या ना करने का अधिकार सरकार ले चुकी है। इससे बिल्कुल स्पष्ट है कि आठवें वेतन आयोग से पहले के पेंशनर्स और बाद के पेंशनरों में भेद भाव किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा टर्म्स एंड रेफरेंस में देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय अनुशासन की आवश्यकता को ध्यान में रखें और सिफारिश करते समय यह सुनिश्चित करना की खर्च और कल्याणकारी योजनाओं के लिए संसाधन उपलब्ध रहे शामिल हैं। इसके अलावा टर्म्स एंड रेफरेंस में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन ढाँचे, भत्तों और कार्य परिस्थितियों की तुलना और राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर संभावित प्रभाव विषय भी है। क्योंकि वे आमतौर पर इन सिफारिशों को कुछ संशोधनों के साथ अपनाती हैं। इसका मतलब पे रिवीजन में आंशिक बढ़ोतरी का स्पष्ट संकेत है। फिटमेंट फार्मूला कम किया जा सकता है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा व कनफरडेशन ऑफ सेट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर एन पाराशर ने बताया कि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना 28 फरवरी,2014 की जारी की गई है और गठन से 18 महीने के भीतर रिपोर्ट देने की समय-सीमा तय की गई है। सिफारिशों को पहली जनवरी,2016 से लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में चुनावी लाभ लेने के लिए आठवें पे कमीशन के गठन की घोषणा 16 जनवरी,2025 को की गई थी और बिहार चुनाव से ठीक पहले केबिनेट ने करीब दस महीने बाद 28 अक्टूबर को इसके टर्म्स एंड रेफरेंस की मंजूरी दी गई है। ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इसको लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक कोविड 19 के समय कर्मचारियों और पेंशनर्स के फ्रीज किए 18 महीने के बकाया डीए डीआर को अभी तक रिलीज नही किया। सरकार पर पहली जनवरी 2026 से सिफारिशों को लागू करने की घोषणा पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। उन्होंने टर्म्स एंड रेफरेंस में आवश्यक संशोधन करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद विस्तृत अध्ययन के बाद विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाएगी।

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