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विश्व प्राथमिक सहायता दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला वैश्विक कार्यक्रम है। जूनियर रेडक्रास और सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड के तत्वाधान में राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा में सी पी आर, कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन अर्थात हृदय दबाव द्वारा पुनर्जीवन एवं प्राथमिक सहायता के उद्देश्य पर व्याख्यान का आयोजन जे आर सी और एस जे ए बी अधिकारी प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों एवं अध्याप
कों को बताया कि दुर्घटनाओं में पचास प्रतिशत से भी अधिक व्यक्तियों की मृत्यु प्राथमिक सहायता न मिल पाने के कारण होती हैं। इस समस्या का सबसे त्वरित उपाय है कि सभी लोगों को प्राथमिक सहायता के ज्ञान अर्जन के लिए जागरूक किया जाए क्योंकि इस प्रकार जा में से अधिकांश को रोका जा सकता है। प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान दुर्घटनाओं और गंभीर चोट की अवस्थाओं में रोकथाम पर नागरिकों को शिक्षित करता है और आपात स्थिति को हल करने के लिए कौशल देता है। विश्व में होने वाली मौतों में सड़क दुर्घटनाएं नौवां प्रमुख कारण है। हर वर्ष तेरह लाख लोग विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में प्राथमिक सहायता के अभाव में मारे जाते हैं। इनमें ज्यादातर मौतें ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से होती हैं। घर और गाड़ी में अपने साथ हमेशा प्राथमिक उपचार किट रखें। डूबने, जलने, हृदयाघात, सड़क दुर्घटना और आत्मघात में प्राथमिक सहायता से जान बचाई जा सकती है। घायल इंसान को तुरंत उपचार मिलना चाहिए। प्राथमिक सहायता प्रशिक्षण लेने के बाद ही दिया जा सकता है। जे आर सी व एस जे ए बी अधिकारी प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा और प्राध्यापिका दीपांजलि ने सी पी आर समझाते हुए कहा कि पीड़ित रोगी को एक समतल जगह पर पीठ के बल लिटा दें, व्यक्ति के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं, अपनी एक हाथ की हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें। दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें। अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को रोगी की छाती के ऊपर सिधाई में रखें। अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें। अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें। अगर आपको सीपीआर देना आता है और आपने 30 बार व्यक्ति की छाती को दबाया है, तो उसकी ठोड़ी को उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की ओर झुकेगा और उसकी श्वसन नली खुलेगी। चिकित्सक के आने तक या रोगी के चिकित्सालय पहुंचने तक यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। प्रशिक्षुओं ने प्राथमिक चिकित्सा पर स्लोगन लिख और पोस्टर बना कर फर्स्ट ऐड़ की महत्ता को दर्शाया। प्राचार्य मनचन्दा ने बच्चों को बताए कि फर्स्ट ऐड़ प्रैक्टिकल ज्ञान है तभी तो कहा जाता है कि" प्राथमिक सहायता का ज्ञान - बचाए बहुमूल्य जान"। प्राचार्य मनचंदा ने प्राध्यापिका दीपांजलि एवं सभी सहयोगी अध्यापकों का विद्यार्थियों को प्राथमिक सहायता के उद्देश्यों, सिद्धांतों तथा तकनीक से अवगत करवाने में सहयोग करने के लिए हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त किया।
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