हरियाणा सरकार ने अचानक 6.36 लाख परिवारों को BPL (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी से बाहर कर दिया है। 4 महीने में जहां प्रदेश में BPL श्रेणी का आंकड़ा 52 लाख था, वह अब करीब 46 लाख रह गया है। सरकार ने तर्क दिया है कि इन परिवारों की सालाना आय 1.80 लाख से ज्यादा हो गई है और इनके पास महंगी गाड़ियां भी हैं।
उधर, सरकार के इस आंकड़े पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कुछ केस ऐसे सामने आए हैं, जिनमें आय में बिना किसी सर्वे के बढ़ोतरी कर दी गई। इसके अलावा कई परिवारों के पास दोपहिया वाहन तक नहीं, लेकिन गड़बड़ी के चलते उनके नाम फैमिली ID में बड़ी गाड़ियां चढ़ा दी गई।
ऐसे प्रभावितों ने बताया कि जब वे राशन लेने पहुंचे तो उन्हें कार्ड रद्द होने की जानकारी मिली। उन्हें पता चला कि उनके नाम कोई बड़ा वाहन रजिस्टर्ड हुआ है। मगर, उन्होंने तो कोई वाहन नहीं खरीदा। फिर यह कैसे हो गया, इसकी जांच होनी चाहिए।
इस मामले में एक और पहलू ये भी है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच बीपीएल कार्ड के लाभार्थियों की सूची एकदम से 5 लाख बढ़ गई लेकिन अब प्रदेश में तीसरी बार भाजपा सरकार बनने के बाद इनमें कटौती शुरू हो गई है।

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