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फरीदाबाद में 6 साल से 'कंडम' घोषित स्कूल की बिल्डिंग में पढ़ रहे 558 बच्चे

Posted by : pramod goyal on : Thursday, 31 July 2025 0 comments
pramod goyal
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 फरीदाबाद  : राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से हुई बच्चों की दर्दनाक मौत के केवल 6 दिन बाद भी फरीदाबाद प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। यहां इंदिरा नगर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की हालत ऐसी है कि उसे देखकर लगता है जैसे प्रशासन बच्चों की मौत का इंतजार कर रहा है। स्कूल की बिल्डिंग बुरी तरह जर्जर है, छतें कभी भी गिर सकती हैं, दीवारें दरक रही हैं और क्लासरूम्स की हालत डरा


वनी है।


यह स्कूल कोई छोटा संस्थान नहीं, इसमें 558 छात्र-छात्राएं रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ने आते हैं। इमारत 6 साल पहले ही पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा "कंडम" घोषित की जा चुकी है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। स्कूल में पढ़ाई नहीं, बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें हैं, छतों से प्लास्टर झड़ रहा है और कुछ कमरों की हालत इतनी खतरनाक है कि उन्हें बंद करना पड़ा। सबसे खतरनाक बात यह है कि स्कूल भवन के ऊपर से हाईटेंशन बिजली की तारें गुजर रही हैं। ऐसे में ज़रा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। छात्रों ने खुद कहा कि वे रोज डर के साए में पढ़ाई करते हैं। हर समय यह डर बना रहता है कि कहीं दीवार या छत उनके ऊपर न गिर जाए। एक महीने पहले लंच टाइम के दौरान एक क्लास की छत से प्लास्टर गिरा, सौभाग्य से वहां कोई नहीं था। अगर बच्चे मौजूद होते तो हादसा निश्चित था।

स्कूल के साइंस अध्यापक सतीश कुमार ने बताया कि 6 साल पहले ही इस इमारत को कंडम घोषित कर दिया गया था, मगर आज तक स्कूल को शिफ्ट नहीं किया गया। कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजे गए, लेकिन किसी ने एक बार भी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। अब स्थिति यह है कि छात्रों को दो शिफ्टों में पढ़ाया जा रहा है, क्योंकि पूरी इमारत एक साथ छात्रों का बोझ नहीं झेल सकती।

हरियाणा एकता अभिभावक मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा कि फरीदाबाद के कई स्कूलों की हालत खराब है, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। प्रधानाचार्य लगातार पत्र भेज रहे हैं, ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ने भी चेताया है, लेकिन प्रशासन कान में रूई डालकर बैठा है। यह लापरवाही नहीं, सीधा बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ है। अगर इस स्कूल में हादसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और उन अधिकारियों की होगी जो चेतावनी के बावजूद कार्रवाई नहीं कर रहे।

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