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फरीदाबाद 1 मई एक मई को फरीदाबाद में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया गया। जॉइंट ट्रेड यूनियन काउंसिल के बैनर तले विभिन्न घटकों के सैकड़ो मज़दूर एस्कॉर्ट इंप्लाइज यूनियन के प्रांगण में एकत्रित हुए। यहां पर शिकागो में शहीद हुए मजदूर की याद में 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यहां पर हुई सभा की अध्यक्षता एटक के नेता बिशबर सिंह, इंटक के श्याम बाबू,
एच एम एस , के सुरेंद्र लाल, सीटू के निरंतर पराशर,बैंक इंप्लाइज के कृपाराम शर्मा सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, के बलबीर सिंह बालगुहेर, आईसीटीयू के कामरेड जवाहरलाल ने संयुक्त रूप की। इस सभा को अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा, सर्व कर्मचारी संघ के राज्य उपाध्यक्ष नरेश शास्त्री, एटक के बेचू गिरी, इंटक के हुक्मचंद बैनीवाल, एच एम एस के नेता एस डी त्यागी, सीटू के वीरेंद्र सिंह डंगवाल, बैंक इंप्लाइज के कृपाराम शर्मा, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा से करतार सिंह डंगवाल, आई सी टी यू के कामरेड जवाहरलाल ने संबोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। इसको श्रमिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मजदूरों के अधिकारों और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1886 में हुई थी। इसे मानने की आवाज अमेरिका के शिकागो शहर से बुलंद हुई। इस दिवस को मनाने की परंपरा 138 साल से चली आ रही है ।दरअसल मजदूर दिवस की जड़े अमेरिका में 1886 में हुए एक श्रमिक आंदोलन से जुड़ी है। आज जो रोजाना काम करने के 8 घंटे निर्धारित हैं। और सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी का अधिकार है।
यह सब इसी आंदोलन की देन है। 1880 के दशक में अमेरिका समेत विभिन्न पश्चिमी देशों में जब औद्योगीकरण का दौर चल रहा था। इस दौरान मजदूरों को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।इस अन्याय के खिलाफ 1886 से पहले अमेरिका में आंदोलन शुरू हुआ। जिसमें मजदूरों ने अपने हक के लिए आवाज उठाते हुए हड़ताल शुरू की। काम के घंटे निर्धारित करने और आराम का समय निश्चित करने के लिए अमेरिका के शिकागो शहर के हे मार्केट में मजदूरों की सभा हो रही थी। इस सभा में बम धमाका हुआ। यह बम किसने फेंका किसी को पता नहीं था। इसके बाद पुलिस ने वहां बैठे श्रमिकों पर गोली चला दी। जिसमें 7 श्रमिक नेता मारे गए और सैकड़ो लोग घायल हो गए। उन्हीं की कुर्बानियों की बदौलत दुनिया के मजदूरों को 8 घंटे काम और 8 घंटे विश्राम और 8 घंटे मनोरंजन करने का अधिकार प्राप्त हुआ। आज की सरकार इन अधिकारों को छिनने पर उतारू है। पिछले दरवाजे से लेबर कोड को लागू किया जा रहा है। काम के घंटे 8 से बढ़कर 12 किया जा रहे हैं। फिक्स्ड टर्म के जरिए उद्योगों एवं सरकारी संस्थानों में पक्की भर्ती बंद कर दी गई है। नौकरी जाने के दर से फिक्स्ड टर्म पर काम करने वाले मजदूर कर्मचारी यूनियन से जुड़ने में कतराते हैं। और इनका शोषण लगातार बढ़ रहा है। समान काम के लिए समान वेतन को लेबर कोड लागू होने के बाद समाप्त कर दिया जाएगा। परियोजना कर्मचारियों और कच्चे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन, पक्की नौकरी, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी नहीं देना चाहती है। यूनियन बनाने के अधिकार को समाप्त किया जा रहा है। हड़ताल करने का अधिकार छीना जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया जारी है। आज मजदूरों के लिए बनाए गए कानूनों को समाप्त किया जा रहा है। आज मजदूर दिवस के दिन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आवाहन पर आगामी 20 मई को राष्ट्रीय व्यापी हड़ताल में भाग लेने का प्रस्ताव भी पास किया गया।इस दिन बीके नगर निगम चौक पर एकत्रित होकर जलूस निकाला जाएगा।क्योंकि देश और प्रदेश की सरकारें आम लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती कर रही है। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। देश की पढ़े-लिखे नौजवान रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। लाखों पद खाली हैं।उनको सीधी भर्ती द्वारा नहीं भरा जा रहा है। ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। श्रम विभाग मजदूरों की मांगों को लागू करने के बजाय फैक्ट्री मालिकों के सामने बौना साबित हो रहा। हड़ताल के दिन फरीदाबाद में बैंक बीमा एलआईसी रेल सरकार कार्यालयों में काम बंद रहेगा। इस सभा को सुभाष देशवाल,दिगंबर डागर, देवीराम , विजय झा, सतपाल नरवत,वैजू सिंह,सुनील चिंडालिया,राजू, दिनेश पाली,दिलीप वोहत, अनिल चिंडालिया,सुधा, हेमलता, राकेश चिंडालिया, शकुंतला, सरोज, जितेंद्र , आदि भी उपस्थित रहे।
यह सब इसी आंदोलन की देन है। 1880 के दशक में अमेरिका समेत विभिन्न पश्चिमी देशों में जब औद्योगीकरण का दौर चल रहा था। इस दौरान मजदूरों को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।इस अन्याय के खिलाफ 1886 से पहले अमेरिका में आंदोलन शुरू हुआ। जिसमें मजदूरों ने अपने हक के लिए आवाज उठाते हुए हड़ताल शुरू की। काम के घंटे निर्धारित करने और आराम का समय निश्चित करने के लिए अमेरिका के शिकागो शहर के हे मार्केट में मजदूरों की सभा हो रही थी। इस सभा में बम धमाका हुआ। यह बम किसने फेंका किसी को पता नहीं था। इसके बाद पुलिस ने वहां बैठे श्रमिकों पर गोली चला दी। जिसमें 7 श्रमिक नेता मारे गए और सैकड़ो लोग घायल हो गए। उन्हीं की कुर्बानियों की बदौलत दुनिया के मजदूरों को 8 घंटे काम और 8 घंटे विश्राम और 8 घंटे मनोरंजन करने का अधिकार प्राप्त हुआ। आज की सरकार इन अधिकारों को छिनने पर उतारू है। पिछले दरवाजे से लेबर कोड को लागू किया जा रहा है। काम के घंटे 8 से बढ़कर 12 किया जा रहे हैं। फिक्स्ड टर्म के जरिए उद्योगों एवं सरकारी संस्थानों में पक्की भर्ती बंद कर दी गई है। नौकरी जाने के दर से फिक्स्ड टर्म पर काम करने वाले मजदूर कर्मचारी यूनियन से जुड़ने में कतराते हैं। और इनका शोषण लगातार बढ़ रहा है। समान काम के लिए समान वेतन को लेबर कोड लागू होने के बाद समाप्त कर दिया जाएगा। परियोजना कर्मचारियों और कच्चे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन, पक्की नौकरी, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी नहीं देना चाहती है। यूनियन बनाने के अधिकार को समाप्त किया जा रहा है। हड़ताल करने का अधिकार छीना जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया जारी है। आज मजदूरों के लिए बनाए गए कानूनों को समाप्त किया जा रहा है। आज मजदूर दिवस के दिन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आवाहन पर आगामी 20 मई को राष्ट्रीय व्यापी हड़ताल में भाग लेने का प्रस्ताव भी पास किया गया।इस दिन बीके नगर निगम चौक पर एकत्रित होकर जलूस निकाला जाएगा।क्योंकि देश और प्रदेश की सरकारें आम लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती कर रही है। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। देश की पढ़े-लिखे नौजवान रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। लाखों पद खाली हैं।उनको सीधी भर्ती द्वारा नहीं भरा जा रहा है। ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। श्रम विभाग मजदूरों की मांगों को लागू करने के बजाय फैक्ट्री मालिकों के सामने बौना साबित हो रहा। हड़ताल के दिन फरीदाबाद में बैंक बीमा एलआईसी रेल सरकार कार्यालयों में काम बंद रहेगा। इस सभा को सुभाष देशवाल,दिगंबर डागर, देवीराम , विजय झा, सतपाल नरवत,वैजू सिंह,सुनील चिंडालिया,राजू, दिनेश पाली,दिलीप वोहत, अनिल चिंडालिया,सुधा, हेमलता, राकेश चिंडालिया, शकुंतला, सरोज, जितेंद्र , आदि भी उपस्थित रहे।
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