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जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 मनाया गया

Posted by : pramod goyal on : Monday, 12 May 2025 0 comments
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 फरीदाबाद, 12 मई – जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय (एफईटी) ने आईआईटी दिल्ली के सहयोग से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 को बड़े उत्साह के साथ मनाया। यह आयोजन 1998 के पोखरण-II परमाणु परीक्षण की स्मृति में आयोजित किया गया, जो भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति का प्रतीक है। 

कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. राजकुमार, डीन (एफईटी) के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव है और हमारे छात्रों को आत्मनिर्भर भविष्य के लिए नवाचार करने की प्रेरणा देता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की, जिन्होंने प्रेरणादायक संबोधन दिया। प्रो. तोमर ने कहा, विश्वविद्यालय नवाचार के केंद्र हैं, जो छात्रों में रचनात्मकता को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा, होमी जे. भाभा, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और डॉ. आर. चिदंबरम जैसे दिग्गजों के योगदान ने भारत को परमाणु शक्ति राष्ट्र बनाया, जो हमें मौलिक विज्ञान की परिवर्तनकारी शक्ति की याद दिलाता है। प्रो. तोमर ने राष्ट्रीय प्रगति के लिए शिक्षा जगत की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।
मुख्य अतिथि प्रो. मैथिली शरण, आईआईटी दिल्ली ने भारत की प्रौद्योगिकी यात्रा पर बोलते हुए कहा कि 30 वर्ष से कम आयु की युवा आबादी के साथ, भारत के पास वैश्विक नवाचार में अग्रणी बनने का अनूठा अवसर है। यह युवा शक्ति आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे सकती है। उन्होंने कहा, छात्रों को राष्ट्र निर्माण के लिए अपनी क्षमता का उपयोग करने के लिए प्रेरित करते हुए।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आईआईटी दिल्ली की डॉ. बहनी रे और जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की प्रो. अंजू गुप्ता के नेतृत्व में छात्रों और शोधकर्ताओं द्वारा पोस्टर प्रस्तुतियाँ  रही। प्रदर्शन में सतत प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा, ड्रोन अनुप्रयोगों और वायु एवं जल प्रदूषण जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान से संबंधित अत्याधुनिक परियोजनाएं शामिल थीं। 
कार्यक्रम में ‘अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: मानव बुद्धि  की जगह लेगी या इसे बढ़ाएगी’ विषय पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसका संचालन डॉ. रितब्रत ठाकुर (आईआईटी दिल्ली) और प्रो. राजकुमार (जे.सी. बोस विश्वविद्यालय) ने किया। पैनल में प्रो. चेतन अरोड़ा, प्रो. ब्रजेश लाल, प्रो. प्रपंच नायर (सभी आईआईटी दिल्ली से) और सुश्री गजल कालरा, रिविगो और नूक की सह-संस्थापक शामिल थे। पैनल ने अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिवर्तनकारी क्षमता और इसकी  नैतिकता पर चर्चा की। “अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव क्षमताओं का स्थान नहीं लेगी, बल्कि उन्हें बढ़ाती है, जो भारत की प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता की दृष्टि के अनुरूप है,” पैनलिस्टों ने सहमति जताई, विकसित भारत में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर बल देते हुए। प्रतिभागियों को अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नवीनतम रुझानों के बारे में जानकारी दी गई।
कार्यक्रम का समापन प्रो. मुनिश वशिष्ठ, डीन ऑफ इंस्टीट्यूशन के हार्दिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और आईआईटी दिल्ली के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में 250 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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