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शिक्षा विभाग के दिशा निर्देशानुसार आज राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सराय ख्वाजा, फरीदाबाद में एक प्रेरक संवाद का आयोजन किया गया। यह सत्र विद्यालय के जूनियर रेड क्रॉस एवं सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शिल्पकार, महान वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद् डॉ. के. कस्तूरीरंगन जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस संवाद का उद्देश्य केवल एक व्यक्ति को स्मरण करना नहीं था, बल्कि उस परिवर्तनकारी सोच को विद्यार्थियों तक पहुंचाना था जो शिक्षा को केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन निर्माण का माध्यम मानती है। संवाद का संचालन प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा जी द्वारा प्रभावशाली रूप से किया गया, जिसमें विद्यालय की शारीरिक शिक्षा प्रवक्ता दीपांजली शर्मा ने सहयोग प्रदान किया। संवाद की शुरुआत डॉ. कस्तूरीरंगन जी के जीवन व उनके कार्यों से हुई। विद्यार्थियों को बताया गया कि नई शिक्षा नीति में केवल विषयों का पुनर्गठन नहीं हुआ है, बल्कि यह एक सोच की क्रांति है — जहां विद्यार्थी अपनी रुचियों के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और शिक्षण प्रणाली को अधिक लचीला, समावेशी और आनंददायक बनाया गया है। जब बच्चों से पूछा गया कि वे शिक्षा से क्या अपेक्षा रखते हैं, तो कई उत्तर सामने आए — "ज्ञान", "रुचियों की स्वतंत्रता", "भविष्य की तैयारी"। इन उत्तरों से स्पष्ट था कि बच्चे अब शिक्षा को केवल एक्ज़ाम पास करने के रूप में नहीं, बल्कि आत्म-विकास के रूप में देखना चाहते हैं। इस प्रेरक चर्चा में बच्चों ने कई प्रश्न पूछे — “क्या हम अब अपने मनपसंद विषय चुन सकते हैं?”, “क्या कला और खेल को भी उतना ही महत्व मिलेगा?” ऐसे सवालों के माध्यम से नई शिक्षा नीति की आत्मा विद्यार्थियों तक स्पष्ट रूप से पहुंची। कार्यक्रम में श्री दिनेश, श्री निखिल एवं श्री पवन सहित अन्य शिक्षकगणों ने भी सक्रिय सहभागिता दिखाई। पूरे सत्र में विद्यार्थियों की आँखों में जिज्ञासा की चमक, मन में नवीन विचार और हृदय में एक नई प्रेरणा दिखाई दी। इस सफल आयोजन की प्रेरणा और नेतृत्व जूनियर रेड क्रॉस एवं सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा द्वारा प्रदान किया गया। उनका शिक्षण के प्रति समर्पण और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु प्रतिबद्धता इस आयोजन में स्पष्ट झलकी। उन्होंने इस संवाद को विद्यार्थियों के लिए एक दिशा-निर्देशक अवसर में परिवर्तित कर दिया। इस प्रेरक संवाद के माध्यम से विद्यार्थियों ने केवल डॉ. कस्तूरीरंगन जी को श्रद्धांजलि ही नहीं दी, बल्कि उस दृष्टिकोण को भी आत्मसात किया जो शिक्षा को आत्मनिर्भरता, रचनात्मकता और जीवन कौशल से जोड़ती है। इस आयोजन में दीपांजली शर्मा का सहयोग भी सराहनीय रहा, जिन्होंने बच्चों के साथ संवाद को सहजता से आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई। विद्यालय परिवार इस सुंदर आयोजन हेतु प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा का आभार व्यक्त करता है।
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