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शिक्षा विभाग हरियाणा "चोर से कह चोरी कर, साह से कह सावधा
न रह" की नीति पर चल रहा है। निजी स्कूल संचालकों के आगे अभिभावक जब पूरी तरह से लुट पिट गए हैं,महंगी किताब कॉपी खरीदवा ली गई हैं,पढ़ाई भी शुरू हो गई है, बढ़ाई गई फीस भी वसूल ली गई है तब शिक्षा विभाग के अधिकारी जागे हैं उन्होंने फॉर्मेलिटी के रूप में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर स्कूलों की मनमानी को रोकने को कहा है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच का आरोप है कि साठगांठ के चलते पिछले 5 साल से य़ह खेला हो रहा है।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस बिरदी ने कहा है कि सीबीएसई के नियमों के तहत प्रत्येक स्कूल को फीस बढ़ाने से पहले अपने स्कूल में वैधानिक रूप से बनाई गई पेरेंट्स एसोसिएशन से विचार विमर्श करके सहमति लेनी होती है लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है। CBSE का नियम य़ह भी है कि राज्य सरकार ने जो फंडस बना रखे हैं स्कूल प्रबंधक उन्हीं फंडों में फीस ले सकते हैं
लेकिन संचालकों ने कई गैर कानूनी फंडस जैसे दाखिला, एनुअल,सुरक्षा,विकास शुल्क, बिल्डिंग फंड मैगजीन परीक्षा कैपिटेशन फीस,मेडिकल, इंश्योरेंस आदि बना रखे हैं।
किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए कई स्कूल वालों ने तो ट्यूशन फीस व वार्षिक शुल्क में ही इन फंडों की राशि को मर्ज कर दिया है। अभिभावक जब ट्यूशन फीस का ब्रेकअप मांगते हैं तो उनको नहीं दिया जाता है।
मंच ने कहा है कि हरियाणा शिक्षा नियमावली का नियम है कि स्कूल ट्यूशन फीस में केवल 5 से 9 फीसदी फीस बढ़ा सकते हैं वो भी तब जब स्कूलों की ओर से फॉर्म-6 भरा गया हो और स्कूल के स्टाफ व टीचर की तनख्वाह बढ़ाई गई हो। नियम है कि स्कूल वालों को जमा कराए गए फॉर्म 6 के सभी पेजों की कॉपी अपने स्कूल की वेबसाइट पर डालनी चाहिए लेकिन उन्होंने डाली नहीं है। मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत मार्च में तीन बार मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री चेयरमैन FFRC कम मंडल कमिश्नर व जिला शिक्षा अधिकारी से की थी लेकिन कोई भी उचित कार्रवाई नहीं हुई। अब खाना पूर्ति के लिए 5 अप्रैल को शिक्षा निदेशक पंचकूला ने मनमानी रोकने के आदेश निकाले हैं। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने अभिभावकों से कहा है कि वे जागरूक व एकजुट होकर निजी स्कूलों की प्रत्येक मनमानी का बिना किसी डर के खुलकर विरोध करें।
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