फरीदाबाद। सेक्टर -2 में चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान के 6 अवतारों के अवतरण महत्व पर प्रकाश डाला गया। जिसमें पृथु, मत्सय, कच्छप, धन्वन्वंतरि, मोहनी और भगवान नरसिंह अवतारों के बारे में विस्तार से बड़े सरल भाव से बताया गया। कथा श्रवण करने आये लोगों ने तन्मयता के साथ इन अवतारों के अवतरण और उनके महत्व के बारे में सुना और जाना कि आखिर भगवान इस धरा पर क्यों आते है।
कथा वाचक राधिका दासी ने सर्व प्रथम पृथु अवतार का महत्व बताते हुए कहा कि पृथु को पृथि और पृथ्वी वैन्य के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "पृथु, वेन का पुत्र" . उन्हें प्रथम प्रतिष्ठित राजा के रूप में माना जाता है, तथा पृथ्वी का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा। उपरांत मत्स्य अवतार पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस अवतार में भगवान विष्णु ने मछली के रूप में अवतार लिया था. उन्होंने सृष्टि की रक्षा के लिए यह अवतार लिया था. प्रलय से पहले सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण किया था. भगवान विष्णु ने मछली के रूप में सत्यव्रत मनु की मदद की थी. भागवत कथा में इसके बाद समुन्द्र मंथन के दौरान हुए कच्छप, धन्वन्वंतरि, मोहनी अवतारों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
कथा वाचक राधिका ने सबसे अंत में भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का बड़े ही सटीक ढंग से चित्रण किया। इस अवतार में भगवान विष्णु का आधा शरीर मानव का और आधा शरीर शेर का था. नरसिंह अवतार को भगवान विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतारों में गिना जाता है. नरसिंह अवतार, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को हुआ था. इस दिन भगवान नरसिंह ने एक खंभे को चीरकर बाहर निकले थे और दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था. भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लिया था। कथा के बीच बीच में कृष्ण हरि संकीर्तन पर उपस्तिथित भक्तजन जमकर थिरके।
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