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फरीदाबाद 4 जनवरी ! किसान संघर्ष समिति के महासचिव सत्यपाल नरवत ने बजट को किसानों के लिए निराशाजनक बताया है ! वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने टोटल बजट पच्चास लाख 52 हजार 384 करोड़ का 3.38% किसानों के लिए दिया है ! जो की पिछले साल से 27000 करोड रुपए अधिक हैं ! पिछले साल 1 लाख 25 हजार करोड़ बजट दिया था पर अबकी बार एक लाख 52 हजार करोड़ का बजट दिया है ! जबकि भारत की आधी से अधिक आबादी कृषि प
र निर्भर है और खेती पर बजट को और अधिक बढ़ाना चाहिए था यह बजट ऊँट के मुहु में जीरे वाली बात है ! खेती ही एकमात्र ऐसा साधन है जो जनता को भूखा नहीं मरने देगी ! ऐसा हम सभी ने कोरोना काल में अपनी आंखों से देखा है ! सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की है उससे किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला उल्टा कर्ज बढ़ेगा ! अगर कर्ज एक मुस्त साल में वापिस जमा नहीं कराया तो ब्याज ज्यादा देना पड़ेगा और किसान कर्ज जमा नहीं कर पाते और वह ब्याज लगकर बढ़ता जाता है और अंत में किसान की जमीन कुर्की के आदेश आ जाते हैं ! अगर सरकार को किसानों का भला करना ही है तो लोन पर ब्याज 1 % कर देते और फसलों की खरीद के लिए MSP की गारंटी का कानून बनाते ! दूसरा किसानों के पुराने कर्ज माफ किए जाएं और स्वामी नाथन रिपोर्ट C- 2 + 50 की तर्ज पर पूर्ण रूप से लागू की जाती ! किसान लोन को 7 % ब्याज लगा कर जमा करा देते है लेकिन 3 % का ब्याज वापिस उनके खाते में नहीं आता ! किसानों की गेहूं की फसल तो MSP पर खरीदी जाती है लेकिन सरसों, दाले, मक्का, कपास आदि को MSP पर नहीं खरीदी जाती ! सरकार 141000 करोड़ के खाद्यान और 31774 करोड़ की दाले बाहर के देशों से मंगवाती है! जिसकी वजह से किसानों के खाद्यान्न तेल एवं दाले MSP पर बिक पाते ! उल्टा कम रेट पर बेचने को किसान मजबूर होते है! हरियाणा सरकार ने अभी कुछ दिन पहले छोटे व्यापारियों के 2500 करोड रुपए के लोन माफ़ कर दिए और केंद्र सरकार ने पूंजीपतियों के टैक्स के अरबों रूपये माफ कर दिए और लोन की रकम को बट्टे खाते में डाल दिया ! इसी तरह पूरे देश के किसानों के एक बार कर्ज माफ किए जाने चाहिए थे ! ताकि किसानों की आत्महत्या रोकी जा सके और किसानों को लंबे आंदोलन न करने पड़े। किसान नेता सत्यपाल नरवत ने बताया कि कृषि यंत्रों पर जी.एस.टी. 18% ली जाती है जो की घटाकर 5% की जानी चाहिए थी और कृषि उपकरणों, खाद एवं बीज पर तथा कीटनाशक दवाइयां पर सब्सिडी को बढ़ाया जाना चाहिए था, सम्मान निधि को बढ़ाना चाहिए था तथा किसानों के बच्चों की शिक्षा व चिकित्शा मुफ्त की जाती ! जो कि बजट में नहीं में नहीं लिया गया !
प्रधानमंत्री धन्य-धन्य योजना की घोषणा सरकार ने बजट में की है जो की धरातल पर अमल में लाना बड़ा कठिन लगता है सिर्फ़ एक राज्य बिहार को फायदा पहुंचने के लिए मखाना बोर्ड का गठन किया गया है।
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