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आज संपूर्ण विश्व में स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिवस मनाया जा रहा है। भारत में स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रमु्ख कारण उनका दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्था
पित किया। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस और सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि उनके ये विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार करते हैं। उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन सकते हैं। विवेकानंद जी के अनुसार व्यक्ति को तब तक मेहनत करती रहनी चाहिए जब तक वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाता यदि कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी लगन और मेहनत करता है तो वो अवश्य ही सफल होगा। स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि किसी भी व्यक्ति को उसकी आत्मा ही सिखा सकती है आपकी आत्मा ही आपकी सबसे अच्छी गुरू है। आत्मा ही आपको आध्यात्मिक बना सकती है इसलिए अपनी आत्मा की अवश्य सुने। स्वामी जी ने कहा था कि यदि भगवान को आप अपने अंदर और विश्व की जीवित चीजों में नहीं देख पाते तो आप भगवान को कहीं भी नहीं देख सकते हैं।
विवेकांनद जी के विचार थे कि मनुष्य का संघर्ष जितना कठिन होगा, उसकी जीत भी उतनी बड़ी होगी अर्थात किसी भी वस्तु को पाने के लिए हर किसी को संघर्ष करना पड़ता है और जितना बड़ा आपका लक्ष्य होगा उतना बड़ा आपका संघर्ष। किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं। उन्हीं के हाथों में देश की उन्नति की बागडोर होती है। आज के परिदृश्य में जहां चारों ओर भ्रष्टाचार, बुराई, अपराध का बोलबाला है इस अवस्था में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है जो सारे युवाओं में चेतना, ऊर्जा और सकारात्कमता का संचार कर देती है। स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी भारत में उस समय उम्मीद की किरण लेकर आई जब भारत पराधीन था और भारत के लोग अंग्रेजों की ज्यादतियां सह रहे थे। चारों ओर दु्ख और निराशा के बादल छाए हुए थे। उन्होंने भारत के सोए हुए समाज को जगाया। युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद जी को यु्वाओं से अत्यधिक आशाएं थीं। उन्होंने युवाओं की अहं की भावना को समाप्त करने के उद्देश्य से कहा कि यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खड़े हो जाओगे, तो तुम्हें सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढ़ेगा। यदि सफल होना चाहते हो तो पहले अहं का ही नाश कर डालो।' उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहारों में शुद्धता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत् रहने का संदेश दिया। प्राचार्य मनचंदा ने स्वामी जी को आधुनिक भारत का प्रेरणास्त्रोत बताते हुए उन के द्वारा दी गई शिक्षाओं का अनुसरण करने और देश के प्रति समर्पित हो कर कार्य करने की प्रेरणा दी।
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