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फरीदाबाद 12 नवंबर - जे सी बोस वाईएमसीए वर्कर्स यूनियन ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। यूनियन ने इस अन्याय के खिलाफ डटकर आंदोलन करने का निर्णय लिया है। यह फैसला आज विश्वविद्यालय परिसर में संपन्न हुई मीटिंग में लिया गया। इसकी अध्यक्षता प्रधान श्री लेखराज ने की। इस बैठक को सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने संबोधित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की मैनेजमेंट पर वर्करों की मांगों को लागू नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत विश्वविद्यालय के कार्यालयों, और अन्य शिक्षण संस्थानों में जो कर्मचारी काम कर रहे हैं। उनकी शनिवार को छुट्टी रहती है। जबकि फील्ड में काम करने वाले माली, प्लंबर,
मेसन, कारपेंटर,
हैल्परों और सफाई कर्मचारियों को शनिवार को भी ड्यूटी में बुलाया जाता है। जब कर्मचारी सारे दिन काम करके शाम को 3 बजे घर को जाते हैं। तब उनको रोक कर 5 बजे तक काम करने के लिए बाध्य किया जाता है। जबकि इनकी तरह कार्यरत अन्य कर्मचारियों को शनिवार को बुलाया ही नहीं जाता है। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने वर्करों को ईएसआई के कार्ड भी नहीं दिए हैं। जबकि ईएसआई की राशि हर माह वेतन से काट ली जाती है। इस कार्ड के नहीं मिलने की वजह से कर्मचारियों को बीमार होने पर ईलाज करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।इसके अतिरिक्त जिन कर्मचारियों के मेडिक्लेम के लिए₹1500 की राशि को काटा गया था। उन्हें मेडिक्लेम का कार्ड भी नहीं दिया है। बैठक में बताया गया कि विश्वविद्यालय में काम करने वाले ग्रुप डी के रेगुलर कर्मचारियों को 60 वर्ष की सेवा काल के बाद रिटायर किया जाता है। जबकि हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत चौथे दर्जे में कार्यरत इन कर्मचारियों को 58 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद रिटायर कर दिया जाता है। जिसके कारण उनको दो वर्ष का नुकसान होता है। उन्होंने वाईएमसीए के इन कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति की उम्र 58 वर्ष के बजाय 60 साल करने की मांग की है। बैठक में सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और अन्य सुविधाएं भी देने की मांग की है।
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