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प्रकाश पर्व गुरु नानक जयंती - मानव कल्याण और बलिदान की प्रतिमूर्ति गुरु नानक जी

Posted by : pramod goyal on : Friday, 15 November 2024 0 comments
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 गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में गुरु नानक जयंती पर गुरु नानक जी के दिखाए मार्ग को अनुसरण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस दिन आयोजित होने वाली सभाओं में गुरु नानक देव के द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे


में बताया जाता है और गुरु ग्रंथ साहिब पाठ किया जाता है। कार्यक्रम जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड के सौजन्य से आयोजित किया गया। जेआरसी और एसजेएबी अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने अधर्म व अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष के अनन्य प्रतिमान, अद्वितीय व्यक्तित्व, सिखों के प्रथम गुरु, महान संत  गुरु नानक देव जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन करते हुए कहा कि आपका त्यागमय जीवन धर्म व मानवता की रक्षा को समर्पित रहा और आप के आदर्श मानव सभ्यता हेतु अनमोल पाथेय है। गुरु नानक जयंती का इतिहास सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जीवन और उपदेशों से जुड़ा हुआ है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469  को तलवंडी में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है इनके पिताजी का नाम मेहता कालू और माता तृप्ता देवी थीं नानक जी ने अपनी शिक्षा घर पर प्राप्त की थी और फारसी, अरबी एवम संस्कृत भाषाओं में पारंगत थे। गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों में एक ईश्वर, सच्चाई और सेवा की महत्ता पर महत्व दिया। गुरु नानक देव के अनुयायी उन्हें नानक , नानकदेव, बाबा नानक और नानक शाह जी नामों से भी संबोधित करते हैं। गुरु नानक देव ने 'इक ओंकार' का संदेश फैलाया था, जिसका अर्थ है 'एक ईश्वर'। इस दिन प्रातः प्रभात फेरी निकाली जाती है और गुरुद्वारों में कीर्तन व लंगर का आयोजन किया जाता है। सिख धर्म के लोग इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाते हैं 22 सितंबर 1539  को करतारपुर में गुरु नानक देव जी का निधन हुआ था।  उन्होंने सदा प्रेम, सदाचार और भाईचारे का सन्देश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने का प्रयास भी किया तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। गुरुजी की मान्यता थी कि मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। वे अपनी वाणी में उपदेश देते हैं। वे बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट कूट कर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है। प्राचार्य मनचंदा ने सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को गुरु जी की शिक्षाओं और आदर्शों को जीवन में आत्मसात करने के लिए कहा। इस अवसर पर प्राध्यापिका गीता, छात्रा चंचल, निधि, पूजा, नादान और न्यासा ने गुरु नानक देव जी के जीवन चरित्र और शिक्षाओं से अवगत करवाया। प्राचार्य मनचंदा ने गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को आत्मसात करने और आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।

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