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डेरा सच्चा सौदा हरियाणा की सियासत के समीकरण बदलता रहा है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 20 दिन की पैरोल पर आए बाबा रामरहीम खुद भले ही यूपी में बैठे रहे, लेकिन यहां कई सीटों का चुनावी गणित तय कर दिया। वर्तमान चुनाव में सिरसा की दो और हिसार की तीन सीटों के नतीजे कुछ यहीं बयां करते हैं। डेरे के समर्थन से हारने वाले प्रत्याशी जीत गए और जीतने वाले शिकस्त खा बैठे।
हरियाणा के 6 जिलों में डेरे के सबसे ज्यादा अनुयायी रहते हैं। फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार में इनका व्यापक प्रभाव भी है। हरियाणा के कम से कम 26 विधानसभा क्षेत्रों में डेरे के अनुयायी हैं। डेरे के कुल अनुयायियों की अनुमानित संख्या करीब 1.25 करोड़ आंकी जाती है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में डेरे का अच्छा-खासा असर है। अबकी बार डेरे ने अपनी रणनीति बदलते हुए किसी पार्टी के बजाय प्रत्याशियों को तवज्जो दी। यही वजह रही कि कई सीटों के नतीजे चाैंकाने वाले साबित हुए।
डेरे के अनुयायियों ने विधानसभा चुनावों में जीतने वाले प्रत्याशियों को मतदान किया। सिरसा जिले की पांच विधानसभा सीटों पर डेरे के लिए अनुयायियों ने मतदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राजनीतिक जानकारों के अनुसार जिताऊ, युवा और डेरे से संबंध रखने वाले प्रत्याशियों को समर्थन दिया। इनेलो के प्रत्याशियों को भी पहली बार डेरा समर्थन करता दिखा
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