हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है। किसी को उम्मीद नहीं थी कि सभी मुद्दे कांग्रेस के पक्ष में होने के बाद भी उसकी हार हो जाएगी, लेकिन रिजल्ट में बीजेपी को मिली बहुमत ने सभी को हैरान कर दिया है। कांग्रेस की हार के
बाद तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन में लड़ने वाली थी, लेकिन सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाने के कारण दोनों पार्टियों ने अलग होकर चुनाव लड़ा, जिससे रिजल्ट सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरियाणा में अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन में होकर चुनाव लड़ती, तो चुनाव का रिजल्ट अभी कुछ और हो सकता था। हरियाणा में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत थी, बीजेपी ने 48 सीटें अपने नाम कर बहुमत हासिल कर ली है, जबकि कांग्रेस के नाम 37 सीटें रही है। यह समीकरण बदल सकता था, अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन किया होता। केजरीवाल की पार्टी ने हरियाणा में 88 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे, वह भले ही एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन कांग्रेस का वोट काटने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
आप ने सीधे तौर पर 5 विधानसभा सीटों को प्रभावित किया है, जहां कांग्रेस की जीत हो सकती थी, लेकिन आप ने कांग्रेस प्रत्याशियों का वोट काट दिया, जिसके कारण वह नहीं जीत सके। इन पांचों सीटों पर बीजेपी की जीत हुई है और जीत का मार्जिन उतने ही वोट है, जिससे अधिक या फिर उसी के आसपास आम आदमी पार्टी को वोट मिले हैं। इससे साफ है कि इन 5 सीटों पर अगर आप और कांग्रेस के सारे वोट एक साथ होते, तो भाजपा के 5 सीट कम हो सकते थे और वह बहुमत हासिल नहीं कर सकती। इसके बाद निर्दलीय और अन्य इनेलो से गठबंधन कर कांग्रेस सरकार बना सकती थी। ही होता
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