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बल्लभगढ़। बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों की जीत में आधी आबादी एक बड़ा अहम किरदार निभायेगी। लगभग एक लाख 23 हजार यहां महिला मतदाता है। अगर 60 प्रतिशत मतदान होता है तो इसमें महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 73 हजार होगी, जो किसी भी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकती है।
88-बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 01 लाख 51 हजार 863 पुरुष, एक लाख 22 हजार 875 महिलाएं एवं 05 ट्रांसजेंडर समेत 2 लाख 74 हजार 743 मतदाता हैं।
बल्लभगढ़ से कुल 8 उम्मीदवार मैदान में है। जिनमे भाजपा ने दो बार के विधायक रहे मंत्री मूलचंद शर्मा पर भरोसा जताया है। जिनके खिलाफ लोगों में काफी रोष है। जिसका नमूना उनकी चुनावी सभाओं में देखा गया है। जबकि कांग्रेस ने यहां क्षेत्र के लिए बिलकुल नई नेत्री पराग शर्मा को उतारा है। कार्यकर्ताओं के दूसरी तरफ छिटकने के चलते उनके प्रचार को धार ही नहीं मिल पाई है। राज्य में कांग्रेस की हवा होने के बावजूद वे चुनावी दौड़ में काफी पिछड़ती नजर आ रही है। बल्लभगढ़ से कांग्रेस टिकट की प्रबल दावेदार शारदा राठौर भी यहाँ से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी समर में है। एक तो उन्हें एन वक्त पर टिकट कटने से लोगों की जबरदस्त सहानभूति मिली है, दूसरा दो बार लगातार विधायक रहने के कारण वे लोगों की जानी पहचानी नेता है। पांच साल से बल्लभगढ़ में लगातार जनसम्पर्क का लाभ भी शारदा राठौर को मिल सकता है। प्रचार के दौरान जगह जगह भारी जन समर्थन और आधी आबादी का प्रति झुकाव ने शारदा राठौर को चुनावी मुकाबले में काफी ऊपर ला खड़ा कर दिया है। शारदा के पक्ष में एक और मौका है कि जो उम्मीदवार की नाराजगी के चलते न तो भाजपा को वोट देना चाहते है और ना ही कांग्रेस को, उनका झुकाव भी निर्दलीय उम्मीदवार शारदा की ओर है। वैसे भी अभी तक यहाँ से किसी उम्मीदवार ने विधायक बनकर हेड ट्रिक नहीं लगाई है।
निर्दलीय उम्मीदावर राव रामकुमार को भी अच्छा समर्थन मिल रहा है , जो भाजपा के लिए नुकसान दायक हो सकता है।
1967 से बल्लभगढ़ में 13 चुनाव हो चुके है, जिनमे 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है। बल्लभगढ़ विधान सभा सीट पर पहली बार 1996 के चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। आनंद कुमार शर्मा पहले भाजपा विधायक चुने गए थे। उसके बाद मूल चंद शर्मा ने 2014 के चुनाव में फिर से कमल खिलाया था। 2019 के चुनाव में भी मूलचंद शर्मा को जीत हासिल हुई थी। 1982 में शारदा रानी टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ी और जीती थी। उन्होंने तीन बार बल्लभगढ़ का प्रतिनिधित्त्व किया।
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