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विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस - सी पी आर का ज्ञान आपदा और दुर्घटना में जीवन दान

Posted by : pramod goyal on : Saturday 14 September 2024 0 comments
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 फरीदाबाद के सराय ख्वाजा स्थित राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड, जूनियर रेडक्रॉस और गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा के निर्देशानुसार विश्व प्राथमिक चिकित्सा सहायता दिवस पर ब्रिगेड सदस्यों को तीन दिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर फर्स्ट एड एवम सी पी आर की आवश्यकता और प्रशिक्षण के बारे में  प्रशिक्षि


त किया। कार्यक्रम में विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी, नेशनल सर्व मास्टर ट्रेनर और प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने ब्रिगेड एवम जे आर सी सदस्य छात्रों को संबोधन में कहा गया कि फर्स्ट एड द्वारा सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली जनहानि को बहुत कम किया जा सकता है। फर्स्‍ट एड का अर्थ किसी भी घायल व्‍यक्ति को चिकित्सा सहायता मिलने से पहले दी जाने वाली सहायता होता है। उन्होंने बताया कि सी पी आर अर्थात कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन एक प्राथमिक चिकित्सा तकनीक है जिसका उपयोग आप तब कर सकते हैं जब किसी की सांस नहीं चल रही हो या उसका दिल रुक गया हो। सीपीआर किसी की जान बचा सकता है और यह एक ऐसा कौशल है जिसे हर कोई सीख सकता है। सीपीआर में चेस्ट कंप्रेशन और मुंह से मुंह देकर बचाव सांस देना सम्मिलित होता है। सी पी आर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा छाती को दबाना है और यदि आप मुंह से मुंह श्वास नहीं दे सकते हैं, तो भी दबाव देना प्रभावी हो सकता है। ए ई डी अर्थात स्वचालित बाह्य डिफाइब्रिलेटर हृदय को पुनः प्रारंभ करने के लिए बिजली का उपयोग करता है और इसका उपयोग यथाशीघ्र किया जाना चाहिए। वयस्कों के लिए सी पी आर में 30 बार हृदय दबाव और उसके बाद बार माउथ तो माउथ दो बार कृत्रिम श्वास देने होते हैं। इसे 30:2 के नाम से जाना जाता है। हृदय दबाव प्रति मिनट लगभग 100 से 120 बार दिया जाता है यह प्रक्रिया रोगी के होश में आने तक, रोगी को चिकित्सालय में चिकित्सक के पास पहुंचने तक अथवा रोगी को उसी स्थान पर मेडिकल हैल्प मिलने तक निरंतर देनी होती है। आपात स्थिति में बहुत से व्यक्ति प्राथमिक उपचार नहीं मिलने पर जीवन खो देते है। ऐसा सामान्यतः तब होता है जब शरीर से रक्त अधिक बहने लगता है। इस स्थिति में रक्त को बहने से रोकना, घाव होने पर उस पर ऑइंटमेंट, पट्टी बांधना आदि व्यक्ति की जान बचा सकता है। इस वर्ष का थीम फर्स्ट एड इन डिजिटल वर्ल्ड रखा गया है। प्राचार्य और फर्स्ट एड एवम होम नर्सिंग के नेशनल सर्व मास्टर ट्रेनर रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि क्‍योंकि सड़क दुर्घटना में सबसे अधिक मृत्यु होती है। कोई घायल होता है तो पहली प्रतिक्रिया आवश्यक सहायता देने की होती है। विभिन्न प्रकार की चोटों और स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए भिन्न भिन्न प्राथमिक उपचार प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। प्राथमिक उपचार से न केवल किसी का जीवन बचाया जा सकता है बल्कि इससे व्यक्ति कम समय में शीघ्र ठीक हो पाता है। साथ ही किसी व्यक्ति को कोई बडी शारीरिक हानि होने से भी बचाया जा सकता है। प्राथमिक उपचार करना सीखने से आपातकालीन स्थिति में समय रहते सही निदान व उपचार देकर किसी का जीवन बचाने से आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपातकालीन स्थिति में प्रभावपूर्ण उपचार कर पाएंगे। किसी को प्राथमिक चिकित्सा देने का तात्पर्य उस व्यक्ति के जीवन पर मंडरा रहे खतरे से बचाना हैं। घायल व्यक्ति की स्थिति और घावों को बिगड़ने व बढ़ने से रोकना प्राथमिक उपचार का दूसरा उद्देश्य होता है। आने  तृतीय दिवस में विद्यालय के छात्र छात्राएं फर्स्ट एड संबंधित पेटिंग एवम फर्स्ट एड पोस्ट लगा कर जीवन रक्षा का संदेश एवम ज्ञान देंगे। जीवनपर्यंत फर्स्ट एड का संदेश देने के लिए प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने सभी छात्र छात्राओं और प्रवक्ता दीपांजलि गीता, दिनेश सिंह सहित सभी का आभार व्यक्त किया तथा प्राथमिक चिकित्सा के गोल्डन रूल्स का ज्ञान अर्जित करने की अपील की।

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