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फरीदाबाद,1 सितंबर। ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित यूपीएस को कर्मचारियों के साथ छलावा बताया है। फेडरेशन ने इसके खिलाफ 26 सितंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर
दिया है। प्रदर्शन से पहले यूपीएस के पक्ष में फैलाई जा रही भ्रांतियां से कर्मचारियों को जानकारी देने और प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए सभी राज्यों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कर्मचारियों की कभी भी एनपीएस में संशोधन या सुधार की मांग नही रही है। कर्मचारियों की मांग पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल झारखंड आदि राज्यों व कर्मचारियों का पीएफआरडीए में जमा अंशदान को वापस करने और ईपीएस 95 के लाभार्थियों को भी ओपीएस में शामिल करने की रही है। इस मांग को लेकर आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन व अन्य संगठन निरंतर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने यूपीएस की घोषणा करके चार राज्यों में होने वाले चुनाव में इसका लाभ लेने का प्रयास किया है। लेकिन इसमें सरकार को सफलता नहीं मिलेगी।
ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के प्रधान सुभाष लांबा व महासचिव ए.श्री कुमार ने बताया कि केन्द्र सरकार ने यूपीएस स्कीम में सरकार ने अंशदान बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा मूल वेतन व डीए का दस प्रतिशत राशि कर्मचारी की हर महीने कटौती होगी। अर्थात कर्मचारी के मूल वेतन प्लस डीए की राशि का 28.5 प्रतिशत राशि 25 साल तक कारपोरेट सेक्टर को मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इतने खर्च से कम खर्च में पुरानी पेंशन बहाल की जा सकती है और साथ ही जीपीएफ की राशि को सरकार विकास कार्यों में खर्च भी कर सकती हैं। क्योंकि जीपीएफ की राशि पर सरकार का नियंत्रण रहता है और यूपीएस की 28.5 प्रतिशत राशि पर सरकार की बजाय कारपोरेट का नियंत्रण होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मियों के बुढ़ापे की चिंता नहीं है, उसे कारपोरेट सेक्टर की चिंता ज्यादा है। इसे पहले भी केन्द्र सरकार कारपोरेट टैक्स को 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर व टैक्सों में लाखों करोड़ की राहत दे चुकी है। उन्होंने सवाल किया कि राज्य सरकारें एनपीएस में अपना 14 प्रतिशत शेयर ही जमा नहीं करवा पा रही तो 18.5 प्रतिशत कैसे जमा कर पाएगी ?
उन्होंने ने बताया कि सरकार ने इसमें इस स्कीम को ओपीएस जैसी करार दिया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर ऐसा है तो सरकार पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन ही लागू क्यों नहीं की ? उन्होंने कहा कि यूपीएस तो एनपीएस से भी खराब है। क्योंकि एनपीएस में मूल वेतन प्लस डीए का दस प्रतिशत कर्मचारी व 14 प्रतिशत सरकार यानी 24 प्रतिशत कुल जमा राशि का 60 प्रतिशत रिटायरमेंट पर नकद भुगतान किया जाता है। लेकिन यूपीएस में तो हर 6 महीने सेवा के बदले मासिक वेतन प्लस डीए का दसवां हिस्सा जुड़कर रिटायरमेंट पर नकद भुगतान किया जाएगा। जो मामूली राशि है। उन्होंने बताया कि ओपीएस में कर्मचारी का कोई अंशदान नहीं कटता है ओर रिटायरमेंट पर पेंशन की 40 प्रतिशत राशि का कंप्यूटेशन भी कराया जा सकता है। वेतन आयोग में पे रिवीजन की तरह पेंशन का भी रिवीजन का भी प्रावधान होता है ओर बढती उम्र के अनुसार बेसिक पेंशन में बढ़ोतरी भी होती है तथा पेंशनर्स को स्वस्थ्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि ओपीएस में बीस साल सर्विस के बाद पूरे पेंशनरी लाभ मिलते हैं और यूपीएस में 25 साल की सर्विस के बाद ही पूरे लाभ मिलेंगे। उन्होंने बताया कि कई राज्यों में अनुसूचित जातियों की नौकरी में लगने का आयु 45-47 साल है और 58 साल रिटायर की है। इनकी सर्विस तो बीस साल की भी नहीं बनती। उनको पूरा लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि यूपीएस से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है है। उन्होंने सरकार से एनपीएस व ओपीएस वापस लेकर पुरानी पेंशन बहाली करने की मांग की है।
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