मनचाही सीटें पाने के लिए दबाव बनाने में नाकाम रहने पर आम आदमी पार्टी का हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो सका और उसने 20 घंटे में अपने 29 उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर दीं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर उतरे दोनों दल विधानसभा में अलग-अलग लड़ेंगे।
आप ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है। वहीं, कांग्रेस व भाजपा के बीच मानी जा रही लड़ाई को तिकोना बना पाती है या नहीं लेकिन यह तय है कि इससे नुकसान कांग्रेस और आप दोनों को होगा। आप को ज्यादा। पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो यही प्रतीत होता है।
आप पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की 46 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। सिर्फ 0.48 फीसदी वोट मिले थे। इससे ज्यादा वोट नोटा को (0.53 फीसदी) मिले थे। बीते लोकसभा चुनाव में आप ने कुरुक्षेत्र सीट से कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा।
आप को 4 फीसदी से भी कम वोट मिले। विधानसभा चुनाव में 10 फीसदी तक वोट शेयर हो तो कोई पार्टी समीकरण बना और बिगाड़ सकती है। आप विधानसभा चुनाव के लिए पिछले एक साल से कड़ी मेहनत कर रही है। खासकर पंजाब और दिल्ली से सटी सीटों पर।
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