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फरीदाबाद 8 अगस्त जॉइंट ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कल भारत छोड़ो आंदोलन के दिवस के मौके पर 9 अगस्त को केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी बजट और पूंजीपति परस्त नीतियों के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के सामने सैक्टर 12 में धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। यह फैसला काउंसिल की एच एम एस कार्यालय में हुई बैठक में हुआ। इस बैठक की अध्यक्षता हिंद मजदूर सभा के प्रांतीय अध्यक्ष श्री एस डी त्यागी ने की ,जबकि मीटिंग का संचालन कन्वीनर वीरेंद्र सिंह डंगवाल कर रहे थे। बैठक में एटक के आर एन सिंह , विशम्बर सिंह, सीटू के निरन्तर पराशर, इंटक के हुकम चंद बेनीवाल, एचएमएस के राजपाल सिंह दांगी, बैंक एम्पलाइज संगठन के कृपाराम शर्मा उपस्थित रहे। कन्वीनर ने हाल ही में वित मंत्री
द्वारा पेश किए गए बजट को किसान, मज़दूर, कर्मचारी, बेरोज़गार युवाओं व समाज के गरीब व मध्य वर्गीय तबकों की मुश्किलें बढ़ाने वाला बताया । । इस बजट से इन तबकों को राहतें नहीं मिल रही हैं । राहतें देने के बजाय कृषि, मनरेगा, शिक्षा, स्वास्थ्य ,खाद्य सुरक्षा व अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के बजट में कटौती कर दी है। यह भाजपा सरकार की दस साल से चली आ रही नीतियों को ही उजागर करता है ।
इस में किसानों की मुख्य माँगों पर सभी फसलों पर एम एस पी, C2+50%के फ़ार्मूले के हिसाब से देने की घोषणा करना, जिसका लिखित समझौता किसानों के साथ किया गया था। इस के अलावा किसानों व मज़दूरों की क़र्ज़ा मुक्ति पर भी एक शब्द नहीं है। मनरेगा मज़दूरों के लिए बजट में पहले से कटौती की गई है। जिससे गाँव में पहले से ही बेरोज़गारी के हालात और ख़राब होंगे । इसी तरह अग्निवीर योजना को भी वापस नहीं लिया गया है ।जिस से सेना में भर्ती होने की तैयारी करने वाले नौजवानों के अंदर भी रोष है। जो कि फिर से किसान मज़दूर परिवारों से ही आते हैं । कर्मचारियों की पुरानी पैंशन योजना को बहाल नहीं किया गया है ।खाद्य सुरक्षा बजट भी घटाया गया है ।रोज़गार बढ़ाने की कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है ना ही केंद्र सरकार ने ख़ाली पड़े पदों को भरने की पहल की है ।महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की बात भी नहीं की गई है ।जिस से महिलाओं समेत जनता का बड़ा हिस्सा परेशान हैं ऐसा लगता है कि सरकार को इन तबकों की कोई प्रवाह नहीं है ।
बजट से यह भी पता चलता है कि सरकार की राजस्व आय में 14.5% की बढ़ोतरी हुई है लेकिन खर्च में केवल 5.94 की बढ़ोतरी हुई है ।उर्वरक सब्सिडी में 24884 की कटौती की गई है जबकि खाद्य सब्सिडी में 7082 करोड़ की गई है ।बेरोज़गारी घटाने के नाम पर भी नौटंकी की गई है ।
कुल मिलाकर यह बजट अमीरों को और अमीर तथा ग़रीबों को और गरीब बनाने वाला बजट है ।इस से देशी विदेशी कारपोरेटों को ही फ़ायदा होता नज़र आ रहा है। सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वायदा भी पूरा नहीं किया। सरकार की टाल मटोल की नीतियों से किसानों में भारी नाराजगी व्याप्त है। इस प्रदर्शन में सभी कर्मचारी मजदूर भाग लेंगे।
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