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महिला समानता दिवस - शिक्षित और सशक्त महिला से ही उन्नति। कोलकाता जैसी घटना पर हो कड़ी सजा और कार्यवाही

Posted by : pramod goyal on : Sunday 25 August 2024 0 comments
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 सराय ख्वाजा फरीदाबाद स्थित राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में महिला समानता दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। अभी हाल ही में कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में हुई घटना पर कठोरतम कार्यवाही की आवश्यकता है जिस से कोई भी ऐसा जघन्य अपराध करने  से पहले सौ बार सोचे, ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोगों को सभी समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं मिलना चाहिए।प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि महिला समानता दिवस को मनाने का विशेष उद्देश्‍य महिला सशक्तिकरण को बढ़ाना एवम उन्‍हें बढ़ावा देना है। साथ ही महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अत्‍याचार, भेदभाव, महिलाओं के प्रति यौन अपराध, बलात्‍कार, एसिड अटैक, जैसे कई विषयों पर लोगों को जागरूक करना है। जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि देखा जाएं


तो महिलाएं आज इन सभी विषमताओं से लड़कर लगातार आगे बढ़ रही है। कानून की दृष्टि में भले ही महिला और पुरुष को बराबर का अधिकार मिला हुआ है परन्तु समाज में अभी भी महिलाओं को लेकर लोगों के मन में दोहरी मानसिकता है। उन्हें आज भी पुरूष के बराबर का अधिकार नहीं मिला है। महिला समानता के अधिकार की बात के लिए सबसे पहले अमेरिका की महिलाएं मुखर हुईं। महिलाओं को अमेरिका में वोट देने का भी अधिकार नही था। वर्षों तक चली लड़ाई के बाद अमेरिका में महिलाओं को अगस्त 1920 में वोटिंग का अधिकार मिला। इस दिन को स्मरण करते हुए महिला समानता दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई। प्राचार्य मनचन्दा ने कहा कि भारत में आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति विचार करने योग्य है। यहाँ वे सभी महिलाएं भी हैं जो सभी प्रकार के भेदभाव के पश्चात भी प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति कर चुकी हैं और सभी उन पर गर्व भी करते हैं। परन्तु इस पंक्ति में उन सभी महिलाओं को भी सम्मिलित करने की आवश्यकता है जो प्रत्येक दिन अपने घर में और समाज में महिला होने के कारण असमानता को झेलने के लिए विवश है। चाहे वह घर में बेटी, पत्नी, माँ या बहन होने के नाते हो या समाज में एक लड़की होने के नाते हो। प्रतिदिन समाचार पत्रों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी खबरों को पढ़ा जा सकता है परन्तु इन सभी के बीच वे महिलाएं जो अपने ही घर में सिर्फ इसीलिए प्रताड़ित हो रही हैं, क्योंकि वह एक महिला है। जहां देश में प्रधानमंत्री के पद पर इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति के पद पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल रह चुकी हैं। कॉरपोरेट सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर जैसे क्षेत्रों में इंदिरा नूई और चंदा कोचर जैसी महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। इन कुछ उपलब्धियों के बाद भी देखें तो आज भी महिलाओं की सफलता आधी अधूरी समानता के कारण कम ही है। साक्षरता दर में महिलाएं आज भी पुरुषों से पीछे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि अवश्य हुई है। आज प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा तथा कॉर्डिनेटर प्राध्यापिका सुशीला, शालिनी ने छात्र रेशमा, साधना, रागिनी, अंशिका और नागिमा को महिला समानता दिवस पर सुंदर अभिव्यक्ति के लिए सम्मानित किया।


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