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केंद्र के आठवें पे कमीशन व पुरानी पेंशन बहाली के इंकार का देश भर में होगा विरोध : सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Thursday, 1 August 2024 0 comments
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 फरीदाबाद,1 अगस्त। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों एवं पेंशनर्स की अत्यंत महत्वपूर्ण आठवें पे कमीशन का गठन और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को मानने से साफ इंकार कर दिया है। जिसको लेकर केंद्र एवं राज्य कर्मियों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। कर्मचारी संगठनों ने अब केन्द्र सरकार के उक्त फैसलों के खिलाफ नए सिरे से आंदोलन शुरू करने की योजना बनानी शुरू कर दी है। राज्य कर्मचारियों के सबसे बड़े एवं प्रमुख संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी


महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने केन्द्र सरकार द्वारा पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली और आठवें पे कमीशन के गठन करने से इंकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी कड़ी भर्त्सना की है। उन्होंने ऐलान किया है इन फैसलों का देशभर में विरोध किया जाएगा और 13-14 अगस्त को हेदराबाद में होने वाली राष्ट्रीय कार्यसमिति की मीटिंग में राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने की योजना बनाई जाएगी।


राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केंद्र एवं राज्य कर्मचारी व शिक्षक लंबे समय से आठवें पे कमीशन का गठन, पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली,इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर दस लाख करने, 18 महीने के बकाया डीए डीआर का भुगतान करने, पीएसयू का निजीकरण और सरकारी विभागों का निगमीकरण बंद करने, केन्द्र एवं राज्य सरकार तथा पीएसयू में रिक्त पड़े करीब एक करोड़ पदों पर भर्ती कर बेरोजगारों को रोजगार देने,पे कमीशन व डीए डीआर देने के लिए केन्द्र द्वारा राज्यों में फंड उपलब्ध कराने आदि मांगों को लेकर संधर्ष कर रहे हैं। उन्होने बताया कि 22 जुलाई को केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सपा सांसद आनंद भदौरिया द्वारा लोकसभा में पुछे गए सवाल पर दो टूक शब्दों में उत्तर दिया कि केंद्र सरकार के पास आठवें पे कमीशन के गठन का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।इसी प्रकार केन्द्रीय वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथ ने 25 जुलाई को एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि पुरानी पेंशन बहाली अब मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा कि उक्त दोनों स्टेटमेंट्स से केन्द्र एवं राज्य सरकार तथा पीएसयू के करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। उन्होंने सवाल किया कि अगर एनपीएस अच्छी है तो आर्मी और सांसद व विधायकों पर क्यों नहीं लागू की गई है और अगर अच्छी नहीं है तो इसको रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली क्यों नहीं किया जा सकता है ? उन्होंने कहा कि बड़े पूंजीपतियों के लाखों करोड़ रुपए कर्ज और टैक्स माफ करना मुमकिन है और पुरानी पेंशन बहाली मुमकिन क्यों नहीं है । उन्होंने कहा कि आठवें पे कमीशन की सिफारिशों को जनवरी,2026 से लागू किया जाना है और इसका गठन दो साल पहले किया जाता रहा है। लेकिन केन्द्र सरकार इसका गठन करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट और उक्त दोनों स्टेटमेंट्स से ऐसा लगता है कि कर्मचारी और उनके मांगे सरकार के एजेंडा में नहीं है। उन्होंने देश के तमाम कर्मचारियों एवं पेंशनर्स से एकजुट होकर केन्द्र सरकार के उक्त तानाशाही फैसलों के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वान किया है।

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