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फरीदाबाद,19 जुलाई।अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बजट में पुरानी पेंशन, आठवें पे कमीशन के गठन, संविदा कर्मियों की रेगुलराइजेशन,18 महीने के बकाया डीए डीआर के भुगतान व जन सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाने, खाली पदों को स्थाई भर्ती से भरने की घोषणा करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को एनडीए सरकार के तृतीय कार्यकाल का पहला बजट पेश पेश करने जा रही है। जिसपर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र एवं राज्य कर्मचारी व पेंशनर्स अपनी उपरोक्त वर्णित मांगों को लेकर लंबे समय से संधर्ष कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की। जिससे देश भर के कर्मचारियों एवं उनके परिजनों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी थी। जिसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा और वह साधारण बहुमत हासिल नहीं कर पाई। जिसमें कर्मचारियों व पेंशनर्स की नाराजगी भी एक कारण रहा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार केन्द्र सरकार पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की बजाय गारंटिड पेंशन स्कीम (जीपीएस) देने पर विचार विमर्श कर रही है। केंद्र एवं राज्य कर्मियों ने यह बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में करीब 50 लाख आउटसोर्स संविदा कर्मचारी 10 से 15 सालों से सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, युनिवर्सिटी आदि में काम कर रहे हैं। लेकिन सरकार उन्हें रेगुलर करने की कोई पालिसी बना रही और ना ही समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान कर रही। उन्होंने कहा कि जनवरी,2026 से आठवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू किया जाना है। लेकिन अभी तक इसका गठन तक नहीं किया गया है। जिससे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में भारी बैचेनी है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्यों तथा पीएसयू में करीब एक करोड़ पद रिक्त हैं। लेकिन सरकार इसको स्थाई भर्ती से भरने की बजाय अग्निवीर,फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट जैसी भर्ती कर बेरोजगार युवाओं के हितों पर कुठाराघात कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें उनके पास प्रयाप्त फंड न होने के कारण राज्य कर्मियों को पे कमीशन व डीए / डीआर का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों के फंड मुहैया कराने की आवश्यकता है। क्योंकि ज्यादातर टैक्स कलेक्शन केन्द्र सरकार के पास ही आती है।उन्होंने बताया कि रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन के बावजूद कोविड 19 में कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के फ्रिज किए 18 महीने के बकाया डीए डीआर का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने कारपोरेट टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर पूंजीपतियों को लाखों करोड़ की राहत दी गई है। लेकिन सरकार कर्मचारियों की आयकर छूट की सीमा दस लाख तक बढ़ाने की मांग को नजरंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार रिक्त पदों को पक्की भर्ती से भरकर बेरोजगारों को रोजगार व जनता को संतोषजनक सेवाएं प्रदान करने की बजाय जन सेवाओं का निजीकरण कर रही है। जिससे जन सेवाएं आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करने जा रही है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की और से महासचिव ए.श्री कुमार ने 9 जुलाई को उनको पत्र लिखकर बजट में उक्त मांगों को एड्रेस करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर बजट में कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी की तो 13-14 अगस्त को हेदराबाद में होने वाली राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पुनः राष्ट्रव्यापी आंदोलन की कार्यनीति तैयार की जाएगी
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