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एक भारत श्रेष्ठ भारत - जेआरसी सदस्य विद्यार्थियों ने नृत्य कर मनाया बोनालू उत्सव

Posted by : pramod goyal on : Friday, 19 July 2024 0 comments
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 गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य  रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के निर्देशानुसार जुलाई 2024 से मार्च 2025 तक एक भारत श्रेष्ठ भारत थीम के अंतर्गत मासिक गतिविधियों की अनुपालना में आज तेलंगाना राज्य का प्रमुख बोनालू उत्सव मनाया गया। जुलाई मास की गतिविधि के अनुसार राजकीय आद


र्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद में आज 18 जुलाई 2024 को बोनालू उत्सव के अंतर्गत विद्यार्थियों द्वारा नृत्य करते हुए यह प्रदर्शित किया गया कि तेलुगु में बोनालू उत्सव किस प्रकार से मनाया जाता है। विद्यार्थियों द्वारा नृत्य के माध्यम कार्यक्रम बहुत ही मनमोहक तरीके से प्रदर्शित किया गया। प्राचार्य रविंद्र कुमार ने विद्यार्थियों को अनेकता में एकता के बारे में बताते हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि हैदराबाद की एक सैन्य टुकड़ी जो उज्जैन में तैनात थी जहाँ महाकालेश्वर के रूप में शिव का प्रसिद्ध मंदिर है। जब हैदराबाद की इस सैन्य बटालियन को सूचना मिली कि महामारी ने उनकी जन्मभूमि को प्रभावित किया है तो वे अपने परिवारों के जीवन और सुरक्षा को लेकर भयभीत हो गए। तब उन्होंने मध्य प्रदेश के उज्जैनी महाकाली मंदिर में देवी महाकाली से प्लेग से मुक्ति की प्रार्थना की। उज्जैनी में तैनात सैनिकों ने महाकाली मंदिर उज्जैनी , मध्य प्रदेश में देवी माँ से प्रार्थना की। जब देवी मां के आशीर्वाद स्वरूप उनकी प्रार्थना स्वीकार हो गई तो उन्होंने हैदराबाद में देवी की एक मूर्ति बनाई जिसके बाद बोनालू परंपरा की शुरुआत हुई। बोनम शब्द भोजनम शब्द का संक्षिप्त रूप है जो संस्कृत का एक ऋण शब्द है जिसका तेलुगु में अर्थ भोजन  होता है । यह देवी माँ को अर्पित किया जाने वाला प्रसाद है। इस उत्सव में महिलाएँ नीम के पत्तों, हल्दी , सिंदूर और बर्तन के ऊपर जलते हुए दीपक से सजे एक नए पीतल या मिट्टी के बर्तन में दूध और गुड़ के साथ पका हुआ चावल तैयार करती हैं। महिलाएँ अपने सिर पर बर्तन लेकर चलती हैं और मंदिरों में देवी माँ को हल्दी, सिंदूर, चूड़ियाँ और साड़ी के साथ बोनम चढ़ाती हैं। इस त्यौहार की उत्पत्ति के बारे में अन्य संस्करण भी हैं। इसमें पौराणिक कथा के अनुसार यह वह समय है जब देवी महाकाली अपने मायके वापस आती हैं आषाढ़ मास अर्थात हिंदू मास आषाढ़ जो जून के अंत से अगस्त तक की अवधि में आता है तथा इस में देवी को बोनालू चढ़ाने का सबसे अनुकूल समय बताया गया है। यह प्रथा एक विवाहित बेटी के भव्य स्वागत के समान है जो हर वर्ष छुट्टियों के लिए अपने माता पिता के घर लौटती है और उसके माता पिता उसे लाड़ प्यार करते हैं। प्राचार्य मनचंदा ने सफल आयोजन के लिए प्राध्यापिका मुक्ता तनेजा को बधाई देते हुए आभार व्यक्त किया इस अवसर पर प्राध्यापिका गीता, नम्रता, पायल, ममता, रजनी, सुशीला सहित अन्य अध्यापकों ने भी सराहनीय योगदान दिया।

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