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फरीदाबाद 27 जुलाई - मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा ने कल शिक्षा मंत्री श्रीमती सीमा तिरखा के आवास पर होने वाले विशाल
प्रदर्शन की तैयारी पूरी कर ली। यह जानकारी मिड-डे-मील की जिला प्रधान कमलेश सीटू के प्रधान निरंतर पराशर और जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने संयुक्त रूप से जारी एक बयान में दी। तीनों नेताओं ने बताया कि पूरे प्रदेश से हजारों वर्कर कल बीके नगर निगम के चौक पर एकत्रित होंगे। यहां पर विरोध सभा होगी। इसके बाद नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारी रैली लेकर शिक्षा मंत्री के आवास सेक्टर 21 के लिए प्रस्थान करेंगे । जिला कमेटी फरीदाबाद ने इस प्रदर्शन को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने बताया कि स्कूलों में मिड डे मील वर्कर्स के साथ भेदभाव होता है। स्कूलों के सारे कार्य जिसमें बागवानी, स्कूल की सफाई, चपरासी का काम, चौकीदारी का कार्य, गेट खोलने और गेट बंद करने का कार्य मीड डे मील वर्करों से करवाया जाता है। आश्चर्य की बात यह है। कि इन्हें सबसे कम वेतन मिलता है। और काम सबसे अधिक लिया जाता है। मानदेय मिलने की कोई तिथि निर्धारित नहीं है। बजट नहीं होने का बहाना बनाकर कई महीने तक मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता है । जबकि इनका कार्य केवल दिन का भोजन देने का ही है। लेकिन इनको सारे दिन स्कूल में ही रोक कर रखा जाता है। सारी वर्कर बेहद गरीब और निर्धन है। इनको न्यूनतम वेतनमान नहीं दिया जाता है। मानदेय भी साल में 10 महीने का ही मिलता है। जबकि दो माह के मानदेय का भुगतान वर्षों से नहीं हो रहा है। इसकी वजह क्या है। सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण नहीं मिलता है। यूनियन मिड डे मील को 26 हजार रुपए प्रति माह मानदेय देने की मांग करती है। इसके साथ-साथ सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष की जाए। केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कम बच्चों वाले स्कूलों को बंद किया जा रहा है। इस आदेश को वापस लिया जाए। और स्कूलों के समायोजन पर रोक लगाई जाए। राज्य में भाजपा सरकार चिराग योजना लेकर आई है। इसमें बच्चों के माता-पिता को कहा जा रहा है। कि यदि वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाएंगे तो उन्हें सरकार प्रति बच्चा ₹1100 महीना देगी ।जबकि खुद सरकार ने सरकारी मॉडल संस्कृति स्कूलों में बच्चों के लिए ₹500 प्रतिमाह फीस देने के लिए आडंबर किया है। इस सबके चलते एक तरफ मिड डे मील वर्कर्स का रोजगार कहां जाएगा और दूसरी तरफ गरीबों को अपने बच्चों को पढ़ाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। जनता ने भाजपा सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लोकसभा चुनावों में मतदान किया। भाजपा अपने बल पर पूर्ण बहुमत नहीं ला सकी। सरकार बनाने के लिए उसे दूसरी पार्टियों का सहारा लेना पड़ा । इतना होने के बावजूद भी सरकार की नीतियों में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है। निकट भविष्य में हरियाणा विधानसभा के चुनाव हैं। इसलिए राज्य की भाजपा सरकार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए हाथ पैर मार रही है। लेकिन अभी भी वह स्कीम वर्कर्स, और मिड डे मील वर्कर और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी करने जैसे मामलों पर चुप है। रोजगार का भारी संकट है। सरकारी विभागों में मंजूर सुदा पदों को समाप्त किया जा रहा है। हरियाणा के विकास में मजदूरों और कच्चे कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन सरकार ने अपने कार्यकाल में न्यूनतम वेतन में संशोधन नहीं किया।
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