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लोकसभा चुनाव में हरियाणा में इस बार जातीय कारक धरे के धरे रह गए। पहली बार यहां जाट और गैर जाट का फैक्टर काम नहीं कर पाया, बल्कि हरियाणा के मतदाताओं ने दिल खोलकर हरियाणा एक-हरियाणवी एक की परपंरा को आगे बढ़ाते हुए एक दूसरे जाति के प्रत्याशियों को वोट दिए हैं।
चुनावी विशलेषक का कहना है कि मतदाता अब पहले से जागरूक हो गया है। इस बार लोगों ने जातिवाद से ऊपर उठकर मतदान किया है और यह अच्छी परंपरा है। मतदाताओं ने स्थानीय चेहरों और केंद्रीय चेहरों को देखते हुए ही वोट दिए। साथ ही क्षेत्रीय दलों को नकारते हुए राष्ट्रीय दलों पर विश्वास जताया है।
लोकसभा चुनावों के परिणाम का आंकलन करें 2019 में हुए चुनावों में जातिगत समीकरणों का पूरा असर पड़ा था। इसी फैक्टर के चलते भाजपा को दसों लोकसभा सीटों पर जीत मिली। इस बार कांग्रेस की ओर से भाजपा के 6 प्रत्याशियों के सामने उसी जाति के प्रत्याशी उतार देने से समीकरण गड़बड़ा गए और संबंधित जाति के मतदाता बंट गए। इसलिए किसी एक जाति का पूरा वोट बैंक सीधे तौर पर एक पार्टी को नहीं मिल पाया।
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