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पितृ दिवस - पिता को समर्पित किए कार्ड और पेंटिंग्स

Posted by : pramod goyal on : Sunday 16 June 2024 0 comments
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 राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने  प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में पितृ दिवस पर विभिन्न वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किए जिस में बच्चों ने अपने अपने पिता के लिए विभिन्न प्रकार के कार्ड और पेटिंग्स बनाईं और उन्हें उपहार देकर सम्मानित किया। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पिता नारियल की तरह होते हैं। ऊपर से जितने कठोर अंदर से उतने ही कोमल। जीवन में कभी किसी भी मोड़ पर आप समस्या में होते हैं तो पिता ही हैं जो सबसे पहले आपकी सहायता को सामने आते है। समस्या चाहे जैसी भी हो पिता के पास हर समस्या का समाधान होता है। पिता के इस प्यार का कोई मूल्य नहीं चुकाया जा सकता। पिता को धन्यवाद कहने के लिए ही फादर्स डे मनाया जाता है। जून महीने का तीसरा रविवार पिता को समर्पित है। भारत सहित कई देशों में इस दिन पितृ दिवस मनाया जाता है और पिता के प्रति अपने सम्मान को प्रकट किया जाता है। जब हम अपनी संस्कृति के सन्दर्भ में देखते हैं तो नन्द बाबा का व्यक्तित्व मन मस्तिष्क में सर्वप्रथम ज्वलंत हो उठता है। नन्द बाबा भगवान श्रीकृष्ण के पालक पिता थे। नन्द बाबा तथा उनकी पत्नी यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का बहुत ही प्रेम दुलार के साथ पालन किया। प्राचार्य मनचन्दा ने कहा कि हमारे जीवन में हमारे पिता एक पेड़ की छांव की तरह होते हैं। जब भी चिलचिलाती धूप के रूप में परेशानियां हमें सताती हैं तब छांव बनकर हमारे पिता हमें राहत दिलाते हैं। वैसे तो पिता अपने बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा देखकर बहुत खुश होते हैं परंतु छोटी छोटी खुशियां भी पिता और बच्चे के रिश्ते को और गहरा बना देती हैं। अपने पिता को इस दिन खुश करने के लिए उन्हें कार्ड, गिफ्ट और फूल दे कर इस दिवस को मेमोरेबल बना देते हैं। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पिता ना केवल हमारे पिता ही हैं बल्कि एक रोल मॉडल, दोस्त, रक्षक, गाइड और हीरो भी हैं। जैसे माएं हमें जीवन देती हैं वैसे ही हमारे पिता हमें जिंदगी जीना सिखाते हैं। वह हमें कठिनाइयों से बचाते भी हैं और उनसे लड़ना भी सिखाते हैं। पिता का महत्व मात्र कुछ शब्दों में वर्णन करना असंभव है लेकिन हम उनके प्रति अपना प्रेम, सम्मान और आदर अवश्य प्रकट कर सकते हैं। जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि मां का नाम सुनकर भावनात्मक होकर आंखें नाम हो जाती हैं तो दूसरी ओर पिता का स्मरण होते ही गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। क्योंकि एक पिता ही है जो सारी जिंदगी अपने बच्चों और परिवार के लिए मेहनत करता है खून पसीना एक करके कमाई करता है ताकि उस के बच्चे और परिवार सुख से रह सके।


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