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फरीदाबाद,1 मई।
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर डीसी आफिस पर सभा का आयोजन किया गया। जिसमें आंगनबाड़ी व आशा वर्करों ने भाग लिया । इस अवसर पर शिकागो के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और नव उदारवादी आर्थिक नीतियों और लोकतांत्रिक एवं ट्रेड यूनियन अधिकारों की रक्षा के लिए निर्णायक आंदोलन का संकल्प लिया। सभा में ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर, आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हैल्पर्स यूनियन की जिला प्रधान देविन्द्री शर्मा व सचिव मालवती और आशा वर्कर यूनियन हरियाणा की उप प्रधान सुधा आदि मौजूद थे।आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हैल्पर्स यूनियन हरियाणा की जिला प्रधान देवेन्द्र ई शर्मा व आशा वर्कर यूनियन हरियाणा की जिला सचिव सुधा ने कहा कि सरकार आंगनवाड़ी व आशा वर्कर के साथ किए समझौते को लागू नहीं कर रही है। जिसके कारण स्कीम वर्करों में भारी आक्रोश है। जिसका खामियाजा सरकार को चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 1 मई, 1886 को, संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिक संघों ने आठ घंटे के कार्यदिवस की वकालत करते हुए हड़ताल शुरू की, जो श्रम इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था। हड़ताल की परिणति 4 मई, 1886 को शिकागो के हेमार्केट स्क्वायर पर हुई दुखद घटनाओं के रूप में हुई, जहां एक शांतिपूर्ण रैली बम विस्फोट के साथ हिंसक हो गई, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक और पुलिस अधिकारी दोनों हताहत हुए। उन्होंने कहा कि 1889 में पेरिस में एक बैठक के बाद, शिकागो विरोध प्रदर्शन से प्रेरित होकर, हर साल मई दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। हेमार्केट घटनाओं की वर्षगांठ मनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनों के लिए रेमंड लैविग्ने के प्रस्ताव ने 1891 में अंतर्राष्ट्रीय की दूसरी कांग्रेस द्वारा एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मई दिवस की आधिकारिक मान्यता की नींव रखी।
उन्होंने कहा कि भारत में 1 मई, 1923 को तेजी से आगे बढ़ा, जहां पहला मई दिवस समारोह चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व कॉमरेड सिंगारवेलर ने किया था, जिन्होंने इस अवसर का सम्मान करने के लिए दो महत्वपूर्ण बैठकों की व्यवस्था की थी।
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