HEADLINES


More

राष्ट्रीय प्रेस दिवस - स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का आधार

Posted by : pramod goyal on : Saturday 4 May 2024 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//

 सराय ख्वाजा फरीदाबाद के राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रेस से जुड़े सभी कर्मियों को


शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का आधार है। जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। जिस के परिणाम स्वरूप चार जुलाई उन्नीस सौ छियासठ को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई जिस ने सोलह नंवबर उन्नीस सौ छियासठ से अपना विधिवत कार्य शुरू कर किया। वर्तमान में पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत ही व्यापक हो गया है।पत्रकारिता जन जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुँचाने की कला एंव विधा है। समाचार पत्र एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं। अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते है तथ्यपरकता, यथार्थवादिता, संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है। परंतु इनकी कमियाँ आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी सिद्ध होने लगी है। पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित, यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि मीडिया को समाज का दर्पण एवं दीपक दोनों माना जाता है। इन में जो समाचार मीडिया है  वे समाचारपत्र हो या समाचार चैनल उन्हें मूलतः समाज का दर्पण माना जाता है। दर्पण का कार्य है समतल दर्पण के रूप में काम करना ताकि वह समाज की हू ब हू आकृति समाज के सामने प्रस्तुत कर सकें। परंतु कभी कभी निहित स्वार्थों के कारण ये समाचार मीडिया समतल दर्पण का जगह उत्तल या अवतल दर्पण के प्रकार का कार्य करने लग जाते हैं। इससे समाज की उल्टी, अवास्तविक, काल्पनिक एवं विकृत तस्वीर भी सामने आ जाती है। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि इन सभी सामाजिक बुराइयों के लिए मात्र मीडिया को दोषी ठहराना उचित नहीं है। जब गाड़ी का एक पार्ट टूटता है तो दूसरा पार्ट भी टूट जाता है और धीरे धीरे पूरी गाड़ी बेकार हो जाती है। समाज में कुछ ऐसी ही स्थिति दृष्टि गोचर हो रही है। समाज में हमेशा परिवर्तन आता रहता है। विकल्प उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसी अवस्था में समाज अमंजस की स्थिति में आ जाता है। इस स्थिति में मीडिया समाज को नई दिशा देता है। मीडिया समाज को प्रभावित करता है फिर भी कभी कभी प्रकारेण मीडिया समाज से प्रभावित होने लगता है। इस अवसर पर अपना वक्तव्य रखने पर प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने विद्यार्थियों और अध्यापक साथियों का आभार और धन्यवाद प्रस्तुत किया।

No comments :

Leave a Reply